गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।
वो जीने से पहले ही मर जाते हैँ।।
रुठे हो किनारे भी जिन से।
वो डूबकर भी पार उतर जाते हैँ।।
यादोँ की टीस कहाँ जाती हैँ।
जख्म तो वक्त के साथ भर जाते हैँ।।
खौफ कितना हैँ हमारे अन्दर।
अपनी साँस की शोर से ही डर जाते हैँ।।
शबनम के सुरुर की तरह हँस-रोकर।
सबके दिन रात तो गुजर जाते हैँ।।
बे-शऊर हम तेरी नादानी से।
उनकी नजरोँ से उतर जाते हैँ।।
महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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2 वर्ष पहले