tag:blogger.com,1999:blog-89771117635412700972024-03-08T12:03:38.874+05:30Sansarइस संसार की व्यापकता अपार है जिसमेँ हम सितारोँ की दूरी तथा समुद्र की गहराई का अन्वेषण करते हैँ।इस ब्रहमाण्ड को जानने की कोशिश करते हैँ परन्तु हम कौन हैँ , तथा इस संसार मेँ क्योँ आये हैँ। इस विषय मेँ कितना जानते हैँ ? डा. अशोक कुमार "अंजान"DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.comBlogger59125tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-91108299932302208942016-10-25T08:59:00.000+05:302016-10-25T09:05:36.436+05:30माचिस की तीलियाँएक जैसी ही दिखती थी............माचिस की वो तीलियाँ,<br />
कुछ ने दीये जलाये....................और कुछ ने घर।<br />
<br />
कुछ ने महकाई.................. अगरबत्तियां मंदिर में,<br />
तो कुछ ने सुलगाए..............सिगरेट के कश।<br />
<a name='more'></a><br />
<br />
कहीं गरमाया चूल्हा..............और बनी रोटियां,<br />
तो कहीं फटे बम .........….....और बिखरी बोटियाँ।<br />
<br />
जली कहीं शादी में...............हवन कुंड की अगन,<br />
तो फूंकी गई कहीं...............दहेज की कमी से सुहागन।<br />
<br />
काजल कभी ..…..........नवजात शिशु का बनाया गया,<br />
शमशान में किसी............चिता को जलाया गया।<br />
<br />
एक सी दिखती थी............माचिस की वो तीलियाँ,<br />
पर सभी ने एक.................अलग ही रंग दिखाया।<br />
<br /><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-65305966454657777412014-01-19T19:24:00.002+05:302014-01-19T19:24:36.813+05:30हौसला हो बुलंद।जैसे कंधे पे इक दोस्त का हाथ हो<br/>
जैसे लफ्ज़ों पे दिल की हर बात हो।
<br/><br/>जैसे आँखों से चिंता की चिलमन हटे<br/>
जैसे मिट जाए हर ग़म कुछ इतना घटे।<a name='more'></a>
<br/><br/>जैसे राहों में सपनों की कलियाँ खिले<br/>
जैसे दिल में उजालों के दरिया बहे।
<br/><br/>जैसे तन-मन कोई गीत गाने लगे<br/>
जैसे सोई हुई हिम्मत अंगडाई ले।
<br/><br/>जैसे जीना ख़ुशी की कहानी लगे<br/>
जैसे बंद रास्ते भी अब खुलने लगे।
<br/><br/>हौसला जैसे आसमां से हो बुलंद<br/>
'अंजान'उड़ानों को पर खुलने लगे।<br/><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-48920610261436625262013-12-31T13:37:00.002+05:302013-12-31T14:03:04.116+05:30HAPPY NEW YEAR<br /><font color="red">Lamha-lamha waqt gujar jayega,<br />
<br />kuch samay
baad naya saal ayega,<br />
<br />ye naya saal aap ke liy,
<br /><br />dher sari kushi aur uphar layega.<br /> phele hi apko wish krdu "HAPPY NEW YEAR"<br /><br />warna ye baazi koi aur maar jayega,<br />
Happy New Year u & ur Family.</font><br /><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-14687509716936730322013-12-27T17:26:00.000+05:302013-12-27T17:41:31.412+05:30बेटियां <font color="red"><br/>बेटियां शुभकामनाएं हैं,<br/>बेटियां पावन दुआएं हैं।<br/>
<br/>बेटियां गुरुग्रंथ की वाणी,<br/>बेटियां वैदिक ऋचाएं हैं।<br/><a name='more'></a>
<br/>जिनमें खुद भगवान बसता है,<br/>बेटियां वे वन्दनाएँ हैं।<br/>
<br/>त्याग,तप,गुणधर्म,साहस की,<br/>बेटियां गौरव कथाएं हैं।<br/>
<br/>मुस्कुरा के पीर पीती हैं,<br/>बेटी हर्षित व्यथाएं हैं।<br/>
<br/>लू-लपट को दूर करती हैं,<br/>बेटियां जल की घटाएं हैं।<br/>
<br/>दुर्दिनों के दौर में देखा,<br/>बेटियां संवेदनाएं हैं।<br/>
<br/>गर्म झोंके बने रहे बेटे,<br/>बेटियां ठंडी हवाएं हैं।<br/></font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-5453157396530300132013-04-16T15:59:00.001+05:302013-12-18T22:22:57.725+05:30वर्तमान<font color="red"><br />उस पल की क्या सोच रहा,<br />जरा इस पल की तू सोच।</br>
<br />जिस पल में खोया रहता है,<br />वह पल खुद है मदहोश।</br>
<br />जरा जी ले वर्तमान को,<br >ले छू आसमां को।
<br/><a name='more'></a>
<br />क्या होगा क्यों सोच रहा,<br />क्या करता है यह सोच।</br>
<br/>जो आज जीत जायेगा,<br >तो कल पर पहुँच पायेगा।</br>
<br/>जो आज ही तू हार गया,<br/>तो समझ कल तू मर गया।</br>
<br/>सो रंग भर तू आज में,<br/>और जग का तू आगाज कर।</br><br/>गरज हो हर आवाज में,<br/>और आज को आबाद कर।</br></font>
<div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-90383941575790142532011-11-21T21:51:00.003+05:302011-11-21T21:59:19.896+05:30कभी न डरना<font color="red"><br />सच कहने से प्यारे कभी तुम न डरना आगे बढ़ते रहना,<br />धर्म के कामोँ मेँ तुम आगे बढ़ते रहना।<br /><br />देश की खातिर भी तुम आगे बढ़ते चलना,<br />स्वर्ग मार्ग दिखाता है ऐसा करना।<br /><a name='more'></a><br />बड़े बड़ोँ ने सच कहा है मानो तुम भी,<br />"जैसा करोगे वैसा ही फिर होगा भरना"<br />सुकर्म है नेकी का पथ याद रहे ये।<br /><br />बहता रहता है सदा ही ऐसा झरना,<br />रीत यही है प्रीत की, कि मिल बैठो,<br />एक दूजे से हरदम प्यार ही करना। </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-65488779889887763672011-11-07T19:38:00.003+05:302011-11-07T19:49:20.812+05:30कर्म<font color="brown"><br />कर्म दैविक सम्पदा का द्वार है;<br />विश्व के उत्कर्ष का आधार है।<br /><br />कर्म पूजा, साधना का धाम है;<br />कर्मयोगी को कहीँ विश्राम है।<br /><a name='more'></a><br />कर्म भावी योजना का न्यास है;<br />सत्य-चित-आनन्द का अभ्यास है।<br /><br />कर्म जीवन का मधुरतम काव्य है;<br />कर्म से ही मुक्ति भी सम्भाव्य है। </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-5729138287711952732011-10-21T08:25:00.004+05:302011-10-21T08:38:40.989+05:30प्रगति पथ पर बढ़ता मानव<font color="brown"><br />मानव विकास की चाह मेँ।<br />बढ़ता हुआ इंसान।।<br /><br />भौतिक सुखोँ की तलाश मेँ।<br />प्रकृति के नियमोँ का उल्लंघन कर।<br />एकांकी बन गया इंसान।।<br /><a name='more'></a><br />सर्वशक्तिमान बननेँ की चेष्टा मेँ।<br />अति दुर्बल हो गया इंसान।।<br /><br />विश्व को साथी बनाने के भ्रम मेँ।<br />स्वयं का साथ खो बैठा है इंसान।।<br /><br />सदियोँ सुरक्षित रहनेँ की आकांक्षा मेँ।<br />पलभर का साथ खो बैठा इंसान।।<br /><br />गगन चुंबी इमारतेँ बना-बना कर।<br />नम्रता की गहराइयाँ भूल गया है इंसान।।<br /><br />विमुक्त हो जा इन विरोधाभासोँ से।<br />अग्रसित हो जा समन्वय की ओर।<br />अभी भी समय है रूख बदलने का।<br />प्रेरित हो जा समन्वय की ओर।। </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-38176812232546819852011-09-24T17:00:00.002+05:302011-10-21T08:41:36.660+05:30वर्षा ऋतु<font color="brown"><br />कारे कजरारे बादलोँ की घटा छा रही,<br />सारा आसमां सबही के मन भाया है।<br /><a name='more'></a><br />घन बीच चपला चम रही चहुँ ओर,<br />गर्जन की गरूता ने तन थहराया है।<br /><br />हो रही वृष्टि मानो डूबैगी ये सृष्टि सारी,<br />महिमा अपार देखो करके विचार।<br /><br />धन्य है! प्रभु जो ऐसी रचना रचाया है,<br />सारा आसमां सबही के मन भाया है। </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-54365410475595346432011-09-19T18:40:00.002+05:302011-09-19T19:07:00.485+05:30मुफ्त मेँ सेहत बनाइये<font color="red"><br />सुबह-सुबह पार्क मेँ क्या होता है,<br />मत पूछिए गजब का तमाशा होता है।<br /><br />औरत हो या मर्द, गर्म हो या सर्द,<br />उछल-कूद मचती है, इक जोश सा होता है।<br /><a name='more'></a><br />हर तरफ शोरे वाह-वाह होता है,<br />सुबह-सुबह पार्क मेँ क्या होता है।<br /><br />उछना-कूदना भी एक मानक है,<br />यह सेहत के लिए एक टाँनिक है।<br /><br />आप भी जाइए, इस टाँनिक को आजमाइये,<br />बेबाक जिँदगी के मजे लेते रहिये।<br /><br />हँसिए और हँसाइये, खूब ठहाके लगाइये,<br />इसी तरह मुफ्त मेँ सेहत बनाइये। </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-6701112565988296902011-09-08T05:00:00.001+05:302011-09-08T12:05:10.125+05:30दिन कुछ ऐसे गुजरता है कोई<font color="brown"><br />दिन कुछ ऐसे गुजरता है कोई<br />जैसे एहसान उतारता है कोई<br /><br />आईना देख के तसल्ली हुई<br />हमको इस घर मेँ जानता है कोई <a name='more'></a><br /><br />पक गया है शजर पे फल शायद<br />फिर से पत्थर उछालता है कोई<br /><br />फिर नज़र मेँ लहू के छीँटे हैँ<br />तुमको शायद मुघालता है कोई<br /><br />देर से गूँजते हैँ 'अंजान' सन्नाटे<br />जैसे हमको पुकारता है कोई </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-90088555692279196262011-08-06T23:02:00.005+05:302011-08-06T23:39:27.441+05:30लचीलापन(कहानी)<a href="http://2.bp.blogspot.com/-nBeBGzjxXzQ/Tj1-FfPxmXI/AAAAAAAAAKQ/xQgB-c5kKoI/s1600/IMG0013A.jpg"><img style="float:left; margin:0 10px 10px 0;cursor:pointer; cursor:hand;width: 128px; height: 160px;" src="http://2.bp.blogspot.com/-nBeBGzjxXzQ/Tj1-FfPxmXI/AAAAAAAAAKQ/xQgB-c5kKoI/s200/IMG0013A.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5637800941289838962" /></a><br /><font color="brown"><br />एक साधक के पास एक <br />व्यक्ति ने आकर अपना<br />दुखड़ा सुनाया। वह अपनी<br />पत्नी से बहुत परेशान था।<br />उसने कहा कि उसकी पत्नी<br />बहुत कंजूस और कठोर<br />अनुशासन वाली है। उसके<br />नियम ,कायदोँ और<br />पाबंदियोँ से वह तंग आ<br />गया है। <a name='more'></a><br /><br />साधक ने उसकी बात गौर<br />से सुनी और सांत्वना दी।<br />साधक ने अगले दिन उसकी<br />पत्नी को अपने पास<br />बुलाया। उसकी पत्नी भी<br />साधक के प्रति आस्था<br />रखती थी। साधक ने पहले<br />उससे घर-गृहस्थी की बातेँ<br />पूछी और देखते ही देखते<br />अचानक अपनी मुट्ठी को<br />कस कर बंद किया। फिर<br />कहा कि अगर मेरा हाथ<br />हमेशा के लिए ऐसा हो जाए <br />तो तुम क्या कहोगी ?<br /><br />आश्चर्यचकित होकर वह<br />बोली , यही कहूँगी कि<br />आपका हाथ खराब हो गया<br />है। किसी भी व्यक्ति की <br />मुट्ठी इस तरह हमेशा बंद<br />नहीँ रहती है।<br /><br />फिर साधक ने हाथ को<br />खोलकर सीधा फैला दिया<br />और कहा कि अगर मेरा<br />हाथ हमेशा के लिए ऐसा हो जाए , उंगलियां मुड़े ही नहीँ<br />तो क्या कहोगी ? <br /><br />उस स्त्री ने कहा , तब भी<br />यही कहूँगी कि हाथ खराब<br />हो गया है।<br /><br />साधक ने मुस्करा कर हवा<br />मेँ उंगलियोँ को खोलते , <br />बंद करते , नचाते और<br />लहराते हुए कहा , याद<br />रखो यह है वैवाहिक जीवन<br />का रहस्य। </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-41332453195322362432011-07-11T19:22:00.005+05:302011-08-02T18:51:54.262+05:30मेहनत<font color="red"><br />
तकदीर नहीँ , हाथोँ की मेहनत<br />
पहुँचाती साहिल तक हमको।<br />
<br />
रेल नहीँ , रेल की पटरी<br />
ले जाती मंजिल तक हमको।<br />
<a name='more'></a><br />
है जब तक हाथोँ मेँ ताकत<br />
तकदीर हमारी हम खुद हैँ ।<br />
<br />
हिम्मत हार के हम अपनी<br />
सारे दुःख के कारण खुद हैँ।<br />
<br />
कदम बढ़ाएं अगर संभलकर<br />
गिरने की कोई बात नहीँ।<br />
<br />
कभी सुबह नही हो जिसकी<br />
ऐसी कोई रात नहीँ।<br />
<br />
अपनी राहोँ के दीपक बन<br />
स्वयं प्रकाश करना है सबको।<br />
<br />
तकदीर नहीँ हाथोँ की मेहनत<br />
पहुँचाती साहिल तक हमको। </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-8563764206022275332011-06-25T08:05:00.001+05:302011-08-02T18:53:08.770+05:30बस छोटा सा जीव हूँ मैँ<font color="brown"><br />
बस छोटा सा जीव हूँ मैँ<br />
छोटा सा पेट है मेरा<br />
थोड़ा सा ही खाता हूँ <br />
उसे भी ना पचा पाता हूँ।<br />
<a name='more'></a><br />
कुछ बर्ष गुजर जाने दो<br />
पेट मेरा थोड़ा बढ़ जाने दो<br />
चारा फिर सारा खा जाऊँगा मैँ<br />
क्षण भर मेँ उसे पचा जाऊँगा मैँ।<br />
<br />
बोफोर्स को भी पचा जाऊँगा मैँ<br />
युद्वपोत को भी निगल जाऊँगा मैँ<br />
मदद से यूरिया की इन्हेँ<br />
यूहीँ हजम कर जाऊँगा मैँ।<br />
<br />
चप्पल गहने और साड़ियाँ भी<br />
यूहीँ खा जाऊँगा मैँ।<br />
लोगोँ के कफन मेँ भी<br />
अब दलाली खाऊँगा मैँ।<br />
<br />
2जी मेँ करके घोटाला<br />
अब चैन से सो पाऊँगा मैँ<br />
खेलोँ मेँ करूँगा घोटाला<br />
तभी तो बड़ा कहलाऊँगा मैँ।<br />
<br />
इन गुणोँ को थोड़ा और बढ़ जाने दो<br />
तब सम्पूर्ण मानव बन पाऊँगा मैँ। </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-39777697753909284922011-06-11T09:50:00.002+05:302011-08-02T18:54:28.188+05:30भ्रष्टाचार (हास्य व्यंग्य)<font color="brown"><br />
रास्ते मेँ जाते हुए मेरा पैर <br />
एक बोतल से टकराया ।<br />
<br />
अचानक हुआ एक भयानक विस्फोट<br />
फैल गया चारोँ ओर धुँआ ही धुँआ ।<br />
<a name='more'></a><br />
इस धुँए के बीच से एक<br />
बड़ा सा जिन्न प्रकृट हुआ ।<br />
<br />
मैँ कुछ घवराया कुछ सकपकाया<br />
जिन्न कुछ मेरे करीब आया।<br />
<br />
जिन्न बोला तुमने मुझे आजाद किया है ।<br />
मैँ तुम्हारा गुलाम हूँ<br />
मेरे आका जो भी आप बोलोगे मै पूरा करूँगा ।<br />
<br />
मैँने कहा जिन्न महाराज !<br />
करना ही है तो वस कर दो<br />
मेरा इतना सा काज !<br />
मेरी इस भारत भूमि से <br />
सारा भ्रष्टाचार मिटा दो ।<br />
<br />
इतना सुन जिन्न हो गया<br />
कुछ सुन्न उसका सिर<br />
चक्कर सा घूमा ।<br />
कुछ देर बाद जिन्न होश मेँ <br />
आकर बोला ।<br />
<br />
मेरे आका कर दो मुझे माँफ <br />
मैँ वापस इस बोतल मेँ घुसता हूँ<br />
आप पुनः ढ़क्कन लगा दो । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-13694030628838719802011-05-28T14:41:00.001+05:302011-08-02T18:55:37.887+05:30जिँदगी क्या मोड़ लेती है<font color="red"><br />
जिँदगी क्या मोड़ लेती है<br />
हमारा साथ छोड़ देती है ।<br />
<br />
गुजरा हुआ पल, बीता हुआ कल,<br />
जिनकी याद मुझे आती है ।<br />
<a name='more'></a><br />
जो मिले ज़ख्म, दर्द उनमेँ होता है ,<br />
ना चैन होता है , ना नीँद मुझे आती है ।<br />
<br />
ख़्वाब सजाती है , सपने भी दिखाती है ,<br />
फंसाके भवंर मेँ ये धोखा दे देती है । <br />
<br />
इंतहा है अब इसकी ये ,<br />
मौत को भी गले लगाती है । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-62796474854428276612011-04-24T07:27:00.001+05:302011-08-02T18:56:54.783+05:30ख्वाब रखो<font color="brown"><br />
रहो जमीँ पे मगर आसमां का ख्वाब रखो,<br />
तुम अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो।<br />
<br />
खड़े न हो सको इतना न सर को झुकाओ कभी,<br />
तुम अपने हाथ मेँ किरदार की किताब रखो।<br />
<a name='more'></a><br />
उभर रहा जो सूरज तो धूप निकलेगी,<br />
उजालोँ मेँ रहो मत धूंध का हिसाब रखो।<br />
<br />
मिले तो ऐसे कि कोई न भूल पाये तुम्हेँ,<br />
महक वफा की रखो और बे हिसाब रखो। </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com15tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-47327968608101268952011-04-17T05:18:00.002+05:302011-08-02T19:00:20.278+05:30बस ढूंढते रह जाओगे<font color="red"><br />
चीजोँ मेँ कुछ चीज, बातोँ मेँ कुछ बातेँ,<br />
वो होगी, जो देख नहीँ पाओगे <br />
कुछ समय बाद, बस ढूँढते रह जाओगे ।<br />
<br />
बच्चोँ मेँ बचपन, जवानोँ मेँ यौवन,<br />
संतो की वाणी, कर्ण सा दानी<br />
नल मेँ पानी, जैल सिँह सा ग्यानी<br />
नानी की कहानी, रावण सा अभिमानी ।<br />
कुछ सालोँ बाद, बस ढूंढते रह जाओगे ।<br />
<a name='more'></a><br />
गाय के दूध सा मटठा, लड़कियोँ का दुपट्टा<br />
बाप जो समझाये, बेटा जो मान जाये<br />
चरते ढोर, नाचते मोर<br />
चहकता पनघट, लम्बा सा घूंघट,<br />
कुछ सालोँ बाद, बस ढूंढते रह जाओगे।<br />
<br />
सांस लेने की ताजी हवा, सरकारी अस्पतालोँ मेँ दवा<br />
नेताओ को चुनाव जीतने के बाद, कर्जदार को उधार देने के बाद<br />
रिस्तोँ मेँ लिहाज, सस्ता ईलाज<br />
कुछ सालोँ बाद, बस ढूंढते रह जाओगे ।<br />
<br />
अध्यापक जो सुबह दिखाये, अफसर जो रिश्वत न खाये<br />
स्कूलोँ मेँ पढ़ाई, शादियोँ मेँ शहनाई<br />
चांद सा खिलौना, लोरी सुनकर सोना,<br />
कुछ साल बाद, बस ढूंढते रह जाओगे । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-76612125234203166322011-04-11T22:04:00.000+05:302011-04-11T22:04:33.729+05:30जमाना<font color="brown"><br />
कैसा आ गया है जमाना अब रिश्वत का ,<br />
ये हवायेँ करेँगी फैसला अब दीये की किस्मत का । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-62806475919249114602011-03-27T09:26:00.000+05:302011-03-27T09:26:55.238+05:30उन्हीँने भुला दिया मुझे जिनपे दिल निसार था<font color="red"><br />
उन्हीँने भुला दिया मुझे जिनपे दिल निसार था ,<br />
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।<br />
<br />
ऊपर से हँस दिया मैँ लेकिन दिल मेँ उदासी ही रही ,<br />
क्या मेरी जिँदगी मेँ खुशियाँ जरा सी भी नहीँ ,<br />
भटकता रहा हूँ मैँ कब से तलाशे मुहब्बत मेँ ,<br />
प्यार भरी मेरी ये निगाहेँ प्यार की प्यासी ही रहीँ । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-90374871603491355912011-03-13T18:08:00.000+05:302011-03-13T18:08:18.308+05:30दो पल ना रूके वो हमेँ मुदद्तोँ से इंतजार था<font color="red"><br />
दो पल ना रूके वो हमेँ मुदद्तोँ से इंतजार था ,<br />
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।<br />
<br />
खुशी के पलोँ मेँ जिन्होँने डाली थी बाँहोँ मेँ बाँहेँ ,<br />
मुझे लगा रोशन होगीँ अब मेरी जिंदगी की राहेँ ,<br />
पर छुड़ा ली बाँहेँ जब मैँ डूबने लगा गम के दरियाँ मेँ ,<br />
अब ऐसे वक्त पे उन्होनेँ क्यूँ फेर ली हैँ निगाहेँ ।<br />
<br />
निकले इतने खुदगर्ज जिन्हेँ समझा वफादार था ,<br />
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।<br />
<br />
अपने मतलब पे कहाँ से इतने रिश्ते निकल आते हैँ ,<br />
खातिर अपने मतलबोँ की रिश्ता बखूवी निभाते हैँ ,<br />
मगर जब रिश्ता माँगता है कुर्बानी जरा सी भी ,<br />
खून और दिल के रिश्ते भी लोग भूल जाते हैँ । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com23tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-87675229096289034422011-03-06T01:11:00.000+05:302011-03-06T01:11:13.629+05:30नाटक ना करो जबान से प्यार के इजहार का<font color="red"><br />
नाटक ना करो जबान से प्यार के इजहार का ,<br />
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।<br />
<br />
मेरे वो दोस्त जिन पर मैँ करता था नाज कभी ,<br />
करके यकीँ जिनको बतलाये अपने मैँने राज सभी ।<br />
हाय अफसोस ! उन्हीनेँ तोड़ा है मेरे यकीन को ,<br />
पहले नहीँ मालूम था निकलेगेँ धोखेवाज वहीँ ।<br />
<br />
कयूँ घोट दिया गला उन्होँने मेरे एकवार का ,<br />
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।<br />
<br />
क्यूँ निकले वो वादा फरामोश दिल है कशमाकश मेँ ,<br />
जिनके लिए निभाता रहा मैँ वादे और कशमेँ ।<br />
उन्होँने मुझे नहीँ किया है मेरे प्यार को रूसवा ,<br />
तोड़ डालीँ जिनकी खातिर जमाने भर की रस्मेँ । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-71438549351998546382011-03-01T09:03:00.002+05:302011-03-01T09:03:54.910+05:30इक दिल के उसने हजार टुकड़े किये<font color="brown"><br />
इक दिल के उसने हजार टुकड़े किये ,<br />
हर टुकड़े को मैँने एक नया दिल बना रखा है ।<br />
<br />
कसम दी उसने दिल का हाल किसी से ना कहेँ ,<br />
हर जुबां को उसकी मैँने अहदे वफा बना रखा है ।<br />
<br />
दिल से चाहा उसे वफा करता रहा मैँ ,<br />
सामने सभी के मगर बेवफा बना रखा है । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com20tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-30847745826635810562011-02-20T17:15:00.000+05:302011-02-20T17:15:00.149+05:30सितारा कहूँ क्यूँ ? चाँद है तू मेरा<font color="brown"><br />
भूल गया अब ये दिल मेरा ,<br />
जो हुआ था गम इसे तेरा ।<br />
<br />
ढूढ़ता है तुम्हीँ को अब ये ,<br />
देखा है जब से चहरा तेरा । <br />
<br />
आईना आँखोँ का साफ है तेरा ,<br />
दिखता है इसमेँ चहरा सिर्फ मेरा ।<br />
<br />
सितारा कहूँ क्यूँ ? चाँद है तू मेरा ,<br />
तू जमीँ नहीँ आसमां है मेरा ।<br />
<br />
"अंजान" कैद पिँजरे मेँ परिन्दे की तरह ,<br />
सोया है मुकद्दर हर वक्त मेरा । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com32tag:blogger.com,1999:blog-8977111763541270097.post-1231665753108201262011-02-13T09:09:00.000+05:302011-02-13T09:09:07.115+05:30इक झलक दिखाके चले गये<font color="red"><br />
इक झलक दिखाके चले गये ,<br />
वो हमको तड़पाके चले गये ।<br />
<br />
ये कैसा किया सितम उन्होँने ,<br />
हमको तरसाके चले गये ।<br />
<br />
लबोँ पे दिखाके वो मुस्कान ,<br />
हम पे बिजली सी गिरा गये ।<br />
<br />
झटके अपने यूँ उन्होँने बाल ,<br />
चहरे पे काली घटा से छा गये ।<br />
<br />
अँखियोँ का किया इशारा ऐसा ।<br />
हम सारी दुनियाँ भूल गये ।<br />
<br />
नैनोँ से चलाके तीर अपने ,<br />
वो हमको घायल कर गये ।<br />
<br />
पलटके देखा जब उन्होँने ,<br />
वो रहा सहा भी मार गये ।<br />
<br />
हाथोँ के देके वो इशारे ,<br />
फिर मिलने को कह गये । </font><div class="blogger-post-footer">www.vishwaharibsr.blogspot.com</div>DR.ASHOK KUMARhttp://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.com17