शनिवार, सितंबर 24, 2011

वर्षा ऋतु


कारे कजरारे बादलोँ की घटा छा रही,
सारा आसमां सबही के मन भाया है।

सोमवार, सितंबर 19, 2011

मुफ्त मेँ सेहत बनाइये


सुबह-सुबह पार्क मेँ क्या होता है,
मत पूछिए गजब का तमाशा होता है।

औरत हो या मर्द, गर्म हो या सर्द,
उछल-कूद मचती है, इक जोश सा होता है।

गुरुवार, सितंबर 08, 2011

दिन कुछ ऐसे गुजरता है कोई


दिन कुछ ऐसे गुजरता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई

आईना देख के तसल्ली हुई
हमको इस घर मेँ जानता है कोई