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दो पल ना रूके वो हमेँ मुदद्तोँ से इंतजार था ,
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।
खुशी के पलोँ मेँ जिन्होँने डाली थी बाँहोँ मेँ बाँहेँ ,
मुझे लगा रोशन होगीँ अब मेरी जिंदगी की राहेँ ,
पर छुड़ा ली बाँहेँ जब मैँ डूबने लगा गम के दरियाँ मेँ ,
अब ऐसे वक्त पे उन्होनेँ क्यूँ फेर ली हैँ निगाहेँ ।
निकले इतने खुदगर्ज जिन्हेँ समझा वफादार था ,
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।
अपने मतलब पे कहाँ से इतने रिश्ते निकल आते हैँ ,
खातिर अपने मतलबोँ की रिश्ता बखूवी निभाते हैँ ,
मगर जब रिश्ता माँगता है कुर्बानी जरा सी भी ,
खून और दिल के रिश्ते भी लोग भूल जाते हैँ ।
23 टिप्पणियाँ:
्बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
बड़ी गहरी अभिव्यक्ति।
दो पल ना रूके वो हमेँ मुदद्तोँ से इंतजार था ,
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।
उफ़, मैं तो अशोक जी ये ही कहूँगा कि:-
बेवफाई प्यार का उपहार है.
आशिकों पर क्यों ये अत्याचार है ?
मन के भावों को सहज शब्द दिए हैं ...अच्छी प्रस्तुति
बहुत खूब......ह्रदय-स्पर्शीय......
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 15 -03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
सुंदर प्रस्तुति अशोक भाई
खुशी के पलोँ मेँ जिन्होँने डाली थी बाँहोँ मेँ बाँहेँ ,
मुझे लगा रोशन होगीँ अब मेरी जिंदगी की राहेँ ,
जिन्दगी में कभी यह अहसास व्यक्ति को काल्पनिक बना देता है ......! और जब यह अहसास जुदा हो जाता है तो फिर व्यक्ति बहुत दुखी होता है ....बस जिन्दगी के लिए ..आपने बहुत सुन्दरता से इस भाव को शब्द दिए हैं
अशा निराशा के बीच जीवन चलता ही रहता है। अच्छी रचना शुभकामनायें।
आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाये
sundar rachna
होली वही जो स्वाधीनता की आन बन जाये
होली वही जो गणतंत्रता की शान बन जाये
भरो पिचकारियों में पानी ऐसे तीन रंगों का
जो कपड़ो पर गिरे तो हिंदुस्तान बन जाये
होली की हार्दिक शुभकामनाये
बढ़िया ग़ज़ल.. होली की हार्दिक शुभकामना !
>>> वन्दना जी
>>> प्रवीण पाण्डेय जी
>>> कुवंर कुशमेश जी
>>> संगीता स्वरूप जी
आप सभी का उत्साहबर्धन एंव प्रोत्साहन के लिए दिल से शुक्रियाँ ।
सुंदर भावाभिव्यक्ति।अच्छी प्रस्तुति।
बहुत बढ़िया ...और सच भी .....
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाये
निकले इतने खुदगर्ज जिन्हेँ समझा वफादार था ,
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ..
अशोक जी ... ये तो हसीनाओं की अदा है ...
बहुत बहुत मुबारक हो रंगों का त्योहार ...
अपने मतलब पे कहाँ से इतने रिश्ते निकल आते हैँ ,
खातिर अपने मतलबोँ की रिश्ता बखूवी निभाते हैँ ,..
कुछ रिश्तों की हकीकत ऐसी ही होती है ...
संवेदनात्मक ग़ज़ल !
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।
aakhir pyar pe kaun nahi lut ta...:)
ek behtareeen gajal1
दो पल ना रूके वो हमेँ मुदद्तोँ से इंतजार था ,
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।
यही तो हसीनाओं की अदा होती है
सुन्दर अभिव्यक्ति
शुभकामनाये
मुद्दत्तों बाद भी उनका इंतज़ार है , हाँ यही प्यार है ... हाँ यही प्यार है ....
vry well said...keep writting...
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , हिंदी ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सार्थक है. निश्चित रूप से आप हिंदी लेखन को नया आयाम देंगे.
हिंदी ब्लॉग लेखको को संगठित करने व हिंदी को बढ़ावा देने के लिए "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की स्थापना की गयी है. आप यहाँ पर अवश्य आयें . यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे ....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
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