गुरुवार, जुलाई 22, 2010

बादल

बादल पे करके भरोसा,
बरसात की जो आस बंधी।

आया हवा का जो एक झोका,
बदली ना जाने कहाँ उड़ चली।।

8 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

wow too good

बेनामी ने कहा…

aaj kal ke mausam ke aunsar kaafi sahi likha hai aapne.......Richa

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

आपकी अमूल्य टिप्पणियोँ के लिए धन्यवाद।

E-Guru _Rajeev_Nandan_Dwivedi ने कहा…

हा हा हा
ऐसा ही होता है, तभी बादलों को आवारा भी कहा जाता है. :-)

संगीता पुरी ने कहा…

इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

Coral ने कहा…

सुन्दर पंक्तियाँ ... स्वागत है !

Nayaindia ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति। आभार!

Ramesh singh ने कहा…

बादल होते ही ऐसे हैँ। बहुत खूबसूरत पँक्तियाँ। शुभकामनायेँ।