देखकर मुझे ही निगाह, उसकी उठी होगी ,
कोई उसे शायद सतह ना मिली होगी।
लब तो हिले थे उसके, कहना कुछ चाहती होगी,
क्यूँ, मगर कैसे ? वो जुबाँ खामोश रही होगीँ।
कदम दर कदम साथ चलने की सोची होगी,
मगर साथ चलने वाली राह ना मिली होगी।
देख तो लिया था वो मंजर मैँने,
शायद रूकने की वजह ना मिली होगी।
"अंजान" तू तो! एक खरोँच से तिलमिला उठा,
ना जाने उस मासूम पर क्या गुजरी होगी।
महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
...
3 वर्ष पहले
32 टिप्पणियाँ:
देखकर मुझे ही निगाह, उसकी उठी होगी ,
कोई उसे शायद सतह न मिली होगी...
अच्छा कलाम है...मुबरकबाद.
कदम दर कदम साथ चलने की सोची होगी,
मगर साथ चलने वाली राह ना मिली होगी।
इश्क में राहें ही तो जुदा कर देती हैं दो दिलों की साथ चलने की तम्मना को , खेर यह सब तो बर्षों से चला आ रहा है,
सुंदर ....लेकिन गंभीर
शुभकामनायें
डुबो दिया शब्दों में आपने।
"अंजान" तू तो! एक खरोँच से तिलमिला उठा,
ना जाने उस मासूम पर क्या गुजरी होगी।
बहुत खूबसूरत गज़ल ....
लव की जगह लब कर दें ..
गज़ब का लिखा है……………सीधा दिल पर वार कर दिया…………बेहतरीन्।
"अंजान" तू तो! एक खरोँच से तिलमिला उठा,
ना जाने उस मासूम पर क्या गुजरी होगी ...
बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है ... हर शेर में मस्ती .... गज़ब अंदाज़ है....
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल.......दिल से मुबारकबाद|
शानदार लेखन, दमदार प्रस्तुति।
शाहिद मिर्जा जी , केवल राम जी , प्रवीण पाण्डेय जी , संगीता स्वरूप जी , वन्दना जी , दिगम्बर नासवा जी एवं समीर जी आप सभी का ब्लोग पर आने और हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।
देख तो लिया था वो मंजर मैँने,
शायद रूकने की वजह ना मिली होगी।
waah...bahut khoob...likhte rahen...likhte likhte ravaani aayegi...
Neeraj
बहुत खूबसूरत गज़ल !!!
देख तो लिया मंजर ----
और
अंजान तू एक ----
वाह बहुत खूब। शुभकामनायें।
4/10
काम चलाऊ पोस्ट
बरखुदार बहुत चाहा पर एक भी शेर पर
वाह न कर पाया
संजय जी , नीरज जी , जील जी , निर्मला कपिला जी एवं उस्ताद जी आप सभी का ब्लोग पर आने और हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रियाँ।
Nice post .
http://vedquran.blogspot.com/2010/11/truth-lies-in-every-soul-anwer-jamal.html
भावपूर्ण और सुंदर लेखन .... बधाई
सुंदर गजल, सुंदर प्रस्तुति...दिपावली की शुभ-कामनाएं!
@ अनवर जमाल जी,
@ मोनिका शर्मा जी,
@ अरूणा कपूर जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा हौसलाअफजाई के लिए तहे-दिल से शुक्रिया।
khubsoorat gazal.......
lagta hai ustaad je ke jhole mein aaj kam number the......
ath inhi se kaam chala lo.
aadrniy aapne jis khubsurt andaaz men aek pyaaar krne vali chaht ki bebsi bekli byan ki he voh vaastv men qaabile taarif he mubark ho. kahtar khan akela kota rajsthan
एक उम्दा रचना. मजा आ गया महोदय. जारी रहें.
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धनतेरस व दिवाली की सपरिवार बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं.
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वात्स्यायन गली
'अंजान' तू तो! एक खरोँच से तिलमिला उठा ;
ना जाने उस मासूम पर क्या गुजरी होगी;
वाह क्या शेर हैँ। अंदाजे ब्याँ निराला हैँ। आभार जी
मगर साथ चलने वाली राह ना मिली होगी।
waah!
sundar shabdrachna!
बहुत बढिया
दीपावली की शुभकामनाएं
बढ़िया है,
दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें.
एक सलाह/नेक सलाह:-
अच्छे ग़ज़लकारों को ज़रूर पढ़ें.
कुँवर कुसुमेश
@दीपक जी
@अख्तर खान अकेला जी
@अमित जी
@रमेश जी
@ललित जी
@अनुपमा पाठक जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा हौसलाअफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।
"na jane uss masum par kya gujri hogi..."
bahut khub, pyari gajal!!
"अंजान" तू तो! एक खरोँच से तिलमिला उठा,
ना जाने उस मासूम पर क्या गुजरी होगी।
कितनी अच्छी गजल लिखी है आपने ....
दर्द को किस शिद्दत से उकेरा है ....
धन्यवाद....
@कुँवर कुशमेश जी
@मुकेश कुमार जी
@अशोक मिश्र जी
आप सभी महोदय जी का ब्लोग पर आने तथा आपके इस स्नैहपूर्ण लगाव के लिए दिल से आभार।
देखकर मुझे ही निगाह, उसकी उठी होगी ,
कोई उसे शायद सतह ना मिली होगी।
kya likhte hai aap
abhar.........
देखकर मुझे ही निगाह, उसकी उठी होगी ,
कोई उसे शायद सतह न मिली होगी...
बहुत सुंदर.....
bhavpur rachna k liye bhadai....
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