रविवार, नवंबर 28, 2010

दो दिल टूटे , बिखरे टूकड़े सारे


दो दिल टूटे , बिखरे टूकड़े सारे,
तड़प तड़प वो दिन कैसे गुजारे,

रह रह के दिल मेँ टीस उठती है,
इस कदर जैसे कोई खंजर मारे हमारे,

शनिवार, नवंबर 20, 2010

यादेँ और तन्हाईयाँ


शायद याद भी नही आती होगी,
उनको हमारी वहाँ पर।

याद मेँ कटी है ये रात कैसे हमारी,
जलती शमां बयाँ कर रहीँ है यहाँ पर।

रविवार, नवंबर 14, 2010

जो भी पाया था कभी खुदा से मैँने

जो भी पाया था कभी खुदा से मैँने
कुछ पल ही रूका था वो पास मेरे

वक्त की अगर कोई सीमा होती तो
वो कद्र करता हर जज्बात की मेरे

शनिवार, नवंबर 06, 2010

अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ

दिल लेके तंगदिली दिखाती हैँ
इश्के राहेँ मुश्किल बताती हैँ

रातोँ को वो सपने सजाती है
दिनोँ को वो खुद से घबराती हैँ