शनिवार, मई 28, 2011

जिँदगी क्या मोड़ लेती है


जिँदगी क्या मोड़ लेती है
हमारा साथ छोड़ देती है ।

गुजरा हुआ पल, बीता हुआ कल,
जिनकी याद मुझे आती है ।

जो मिले ज़ख्म, दर्द उनमेँ होता है ,
ना चैन होता है , ना नीँद मुझे आती है ।

ख़्वाब सजाती है , सपने भी दिखाती है ,
फंसाके भवंर मेँ ये धोखा दे देती है ।

इंतहा है अब इसकी ये ,
मौत को भी गले लगाती है ।

2 टिप्पणियाँ:

केवल राम ने कहा…

ख़्वाब सजाती है , सपने भी दिखाती है ,
फंसाके भवंर मेँ ये धोखा दे देती है ।


जिन्दगी के लिए क्या जरुरी है क्या नहीं .....लेकिन फिर भी जिन्दगी अनवरत ख्बाब सजाती है ...आपकी रचना का हर शेर लाजबाब है ...आपका आभार

Richa P Madhwani ने कहा…

http://shayaridays.blogspot.com/