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रास्ते मेँ जाते हुए मेरा पैर
एक बोतल से टकराया ।
अचानक हुआ एक भयानक विस्फोट
फैल गया चारोँ ओर धुँआ ही धुँआ ।
इस धुँए के बीच से एक
बड़ा सा जिन्न प्रकृट हुआ ।
मैँ कुछ घवराया कुछ सकपकाया
जिन्न कुछ मेरे करीब आया।
जिन्न बोला तुमने मुझे आजाद किया है ।
मैँ तुम्हारा गुलाम हूँ
मेरे आका जो भी आप बोलोगे मै पूरा करूँगा ।
मैँने कहा जिन्न महाराज !
करना ही है तो वस कर दो
मेरा इतना सा काज !
मेरी इस भारत भूमि से
सारा भ्रष्टाचार मिटा दो ।
इतना सुन जिन्न हो गया
कुछ सुन्न उसका सिर
चक्कर सा घूमा ।
कुछ देर बाद जिन्न होश मेँ
आकर बोला ।
मेरे आका कर दो मुझे माँफ
मैँ वापस इस बोतल मेँ घुसता हूँ
आप पुनः ढ़क्कन लगा दो ।
8 टिप्पणियाँ:
:):) सही है ... बहुत मुश्किल काम है..
हा हा हा……………बेबस जिन्न मगर इंसान नही कोशिश करे तो कामयाब हो सकता है।
Ha .. ha.. ha ... bahut mushkil kaam hai aise so jinn bhi nahi kar sakte ye kaam ... lajawaab vyang ...
यह देख कर जिन्न भी झन्ना जायेगा।
wahhhhhhhhhhhhh
लीगल सैल से मिले वकील की मैंने अपनी शिकायत उच्चस्तर के अधिकारीयों के पास भेज तो दी हैं. अब बस देखना हैं कि-वो खुद कितने बड़े ईमानदार है और अब मेरी शिकायत उनकी ईमानदारी पर ही एक प्रश्नचिन्ह है
मैंने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर श्री बी.के. गुप्ता जी को एक पत्र कल ही लिखकर भेजा है कि-दोषी को सजा हो और निर्दोष शोषित न हो. दिल्ली पुलिस विभाग में फैली अव्यवस्था मैं सुधार करें
कदम-कदम पर भ्रष्टाचार ने अब मेरी जीने की इच्छा खत्म कर दी है.. माननीय राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें मैंने जो भी कदम उठाया है. वो सब मज़बूरी मैं लिया गया निर्णय है. हो सकता कुछ लोगों को यह पसंद न आये लेकिन जिस पर बीत रही होती हैं उसको ही पता होता है कि किस पीड़ा से गुजर रहा है.
मेरी पत्नी और सुसराल वालों ने महिलाओं के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरपयोग करते हुए मेरे ऊपर फर्जी केस दर्ज करवा दिए..मैंने पत्नी की जो मानसिक यातनाएं भुगती हैं थोड़ी बहुत पूंजी अपने कार्यों के माध्यम जमा की थी.सभी कार्य बंद होने के, बिमारियों की दवाइयों में और केसों की भागदौड़ में खर्च होने के कारण आज स्थिति यह है कि-पत्रकार हूँ इसलिए भीख भी नहीं मांग सकता हूँ और अपना ज़मीर व ईमान बेच नहीं सकता हूँ.
मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.
दिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?
मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.
मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो
उसके बस का भी काम नहीं...
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