मंगलवार, अप्रैल 16, 2013

वर्तमान


उस पल की क्या सोच रहा,
जरा इस पल की तू सोच।

जिस पल में खोया रहता है,
वह पल खुद है मदहोश।

जरा जी ले वर्तमान को,
ले छू आसमां को।

क्या होगा क्यों सोच रहा,
क्या करता है यह सोच।

जो आज जीत जायेगा,
तो कल पर पहुँच पायेगा।

जो आज ही तू हार गया,
तो समझ कल तू मर गया।

सो रंग भर तू आज में,
और जग का तू आगाज कर।

गरज हो हर आवाज में,
और आज को आबाद कर।

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