शुक्रवार, दिसंबर 27, 2013

बेटियां


बेटियां शुभकामनाएं हैं,
बेटियां पावन दुआएं हैं।

बेटियां गुरुग्रंथ की वाणी,
बेटियां वैदिक ऋचाएं हैं।

जिनमें खुद भगवान बसता है,
बेटियां वे वन्दनाएँ हैं।

त्याग,तप,गुणधर्म,साहस की,
बेटियां गौरव कथाएं हैं।

मुस्कुरा के पीर पीती हैं,
बेटी हर्षित व्यथाएं हैं।

लू-लपट को दूर करती हैं,
बेटियां जल की घटाएं हैं।

दुर्दिनों के दौर में देखा,
बेटियां संवेदनाएं हैं।

गर्म झोंके बने रहे बेटे,
बेटियां ठंडी हवाएं हैं।

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