जैसे कंधे पे इक दोस्त का हाथ हो
जैसे लफ्ज़ों पे दिल की हर बात हो।
जैसे आँखों से चिंता की चिलमन हटे
जैसे मिट जाए हर ग़म कुछ इतना घटे।
जैसे राहों में सपनों की कलियाँ खिले
जैसे दिल में उजालों के दरिया बहे।
जैसे तन-मन कोई गीत गाने लगे
जैसे सोई हुई हिम्मत अंगडाई ले।
जैसे जीना ख़ुशी की कहानी लगे
जैसे बंद रास्ते भी अब खुलने लगे।
हौसला जैसे आसमां से हो बुलंद
'अंजान'उड़ानों को पर खुलने लगे।
महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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2 वर्ष पहले
1 टिप्पणियाँ:
सच में, हौसला बुलंद रहे।
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