मेरा आया यौवन,
मेरा घूघंटा उठा दे रे।
मैँ दुल्हन सी लगती हूँ ,
कोई मुझे दुल्हन बना दे रे।।
मुझे नीँद ना आये ,
कोई आँखोँ मेँ,
काजल लगा दे रे ।
पाँव मेँ लगे अगन ,
कोई इनमेँ मेँहदीँ सजा दे रे ।।
न चिट्ठी आये ,
न संदेशा ही आये ।
कोई मोहे झूठे ही,
बहला दे रे ।।
अब कटे ना ,
रात ये वीरानी ।
कोई झूठे ही,
किवरिया हिला दे रे ।।
महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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3 वर्ष पहले
14 टिप्पणियाँ:
सुंदर प्रस्तुति,
ऐसी बातें सोचकर मन हर्षित तो होता ही है
मन के कोमल विचारों की मधुर प्रस्तुति।
बहुत बढ़िया,
बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
snsaar bhaayi snsaar kaa yhi sch he jo aapne apne snsar pr likhaa he . akhtar khan akela kota rajsthan
केवल राम जी , मनोज जी , प्रवीण जी , संजय जी , समीर जी तथा अख्तर खान जी आपकी उत्साही तथा स्नैही टिप्पणीयोँ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।
bahut badhiyan...
कल्पना को सुन्दर शब्दों में साकार किया है.
आनन्द राठौर जी तथा रेखा श्रीवास्तव जी आपके इस स्नैह के लिए हार्दिक धन्यवाद।
2/10
कुछ भी ख़ास नहीं
साधारण
Achhi Rachna!
बहुत खूब......... सुन्दर शब्दोँ को पिरोया है आपने कविता मेँ। बधाई!
अशोक कुमार जी , बहुत खूब , कोई झूठे ही किवड़िया हिला दे न .....गुनगुनाते हुए शब्दों का चुलबुलापन जैसे खुद ही बोल उट्ठा हो ...यहाँ तक कि मेरे ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी भी यही दर्शा रही है , साफ़ दिल और एक कवि की खूबियाँ लिए संवेदनशील मन ! आपको सलाम ...
nice poem!
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