महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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3 वर्ष पहले
21 टिप्पणियाँ:
यहाँ का दर्द अनबयाँ है वहाँ पर।
यादों के साए में भी सुकून है अशोक जी.
लिखते रहें यूं ही
2/10
आपने याद किया और मैं आ गया.
लेकिन पढने लायक कुछ भी ख़ास नहीं है.
कम से कम यादें ही साझा कर लेते हमसे.
सही लिख रहे हैं, आपकी चार पंक्तियों ने बहुत कुछ समेट रखा है.
थोड़े शब्दों मे अच्छा बयां ....
यादों में समय काटना कभी कभी आसान हो जाता है ..
बहुत खूब ...
याद उन्हें भी आती है वहाँ पर ।
आग है यहाँ तो धुआँ वहाँ पर ।।
Nice try .
बढ़िया है !
चार पंक्तियों ने बहुत कुछ समेट रखा है
गागर मे सागर भर दिया। आभार।
इतनी बेचेनी जब दिखाते हो यहाँ पर
फिर याद केसे न आयगी वहां पर
रात की शमा जब जली होगी यहाँ पर
तो उजाला भी हुआ होगा यक़ीनन वहां पर !
कम शब्दों में गहरी बात कह दी आपने... बढ़िया है....
shi kha ajnaab aesa hi drd hm bhi shte hen ab to dono bhayai bhayi h gye hen jnaab isliyen sath bnaaye rkhnaa . akhtar khan akela kota rajsthan
अच्छी पंक्तियाँ. उस्ताद जी का सुझाव विचारणीय है.
@प्रवीण पाण्डेय जी
@संगीता स्वरूप जी
@कुवँर कुशमेश जी
@उस्ताद जी
@रेखा श्रीवास्तव जी
@मंजुला जी
@दिगम्बर नास्वा जी
@डाँ. अनवर जमाल जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से शुक्रिया।
तेरी यादो का चिराग जलने दे न जाने जिंदगी की किस गली में शाम हो जाए ...|
ye yaad hai ya inteha hai yaad ki ....bahut khub ...char lino me hi sara saransh likh diya
@अनुपमा पाठक जी
@संजय भास्कर जी
@मीनाक्षी पंत जी
@निर्मला कपिला जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा स्नैही टिप्पणीयोँ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया जी।
कम शब्दोँ मेँ अच्छा बयाँ। अन्दाज पसन्द आया। आभार!
bahut khoob likha hai ashok ji
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