शनिवार, नवंबर 20, 2010

यादेँ और तन्हाईयाँ


शायद याद भी नही आती होगी,
उनको हमारी वहाँ पर।

याद मेँ कटी है ये रात कैसे हमारी,
जलती शमां बयाँ कर रहीँ है यहाँ पर।

21 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यहाँ का दर्द अनबयाँ है वहाँ पर।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

यादों के साए में भी सुकून है अशोक जी.
लिखते रहें यूं ही

उस्ताद जी ने कहा…

2/10

आपने याद किया और मैं आ गया.
लेकिन पढने लायक कुछ भी ख़ास नहीं है.
कम से कम यादें ही साझा कर लेते हमसे.

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

सही लिख रहे हैं, आपकी चार पंक्तियों ने बहुत कुछ समेट रखा है.

मंजुला ने कहा…

थोड़े शब्दों मे अच्छा बयां ....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

यादों में समय काटना कभी कभी आसान हो जाता है ..
बहुत खूब ...

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

याद उन्हें भी आती है वहाँ पर ।
आग है यहाँ तो धुआँ वहाँ पर ।।

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

Nice try .

अनुपमा पाठक ने कहा…

बढ़िया है !

संजय भास्‍कर ने कहा…

चार पंक्तियों ने बहुत कुछ समेट रखा है

निर्मला कपिला ने कहा…

गागर मे सागर भर दिया। आभार।

Minakshi Pant ने कहा…

इतनी बेचेनी जब दिखाते हो यहाँ पर
फिर याद केसे न आयगी वहां पर
रात की शमा जब जली होगी यहाँ पर
तो उजाला भी हुआ होगा यक़ीनन वहां पर !

Shah Nawaz ने कहा…

कम शब्दों में गहरी बात कह दी आपने... बढ़िया है....

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

shi kha ajnaab aesa hi drd hm bhi shte hen ab to dono bhayai bhayi h gye hen jnaab isliyen sath bnaaye rkhnaa . akhtar khan akela kota rajsthan

Bharat Bhushan ने कहा…

अच्छी पंक्तियाँ. उस्ताद जी का सुझाव विचारणीय है.

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

@प्रवीण पाण्डेय जी
@संगीता स्वरूप जी
@कुवँर कुशमेश जी
@उस्ताद जी
@रेखा श्रीवास्तव जी
@मंजुला जी
@दिगम्बर नास्वा जी
@डाँ. अनवर जमाल जी

आप सभी का ब्लोग पर आने तथा हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से शुक्रिया।

naresh singh ने कहा…

तेरी यादो का चिराग जलने दे न जाने जिंदगी की किस गली में शाम हो जाए ...|

amrendra "amar" ने कहा…

ye yaad hai ya inteha hai yaad ki ....bahut khub ...char lino me hi sara saransh likh diya

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

@अनुपमा पाठक जी
@संजय भास्कर जी
@मीनाक्षी पंत जी
@निर्मला कपिला जी

आप सभी का ब्लोग पर आने तथा स्नैही टिप्पणीयोँ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया जी।

Ramesh singh ने कहा…

कम शब्दोँ मेँ अच्छा बयाँ। अन्दाज पसन्द आया। आभार!

Archana writes ने कहा…

bahut khoob likha hai ashok ji