रविवार, मार्च 06, 2011

नाटक ना करो जबान से प्यार के इजहार का


नाटक ना करो जबान से प्यार के इजहार का ,
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।

मेरे वो दोस्त जिन पर मैँ करता था नाज कभी ,
करके यकीँ जिनको बतलाये अपने मैँने राज सभी ।
हाय अफसोस ! उन्हीनेँ तोड़ा है मेरे यकीन को ,
पहले नहीँ मालूम था निकलेगेँ धोखेवाज वहीँ ।

कयूँ घोट दिया गला उन्होँने मेरे एकवार का ,
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।

क्यूँ निकले वो वादा फरामोश दिल है कशमाकश मेँ ,
जिनके लिए निभाता रहा मैँ वादे और कशमेँ ।
उन्होँने मुझे नहीँ किया है मेरे प्यार को रूसवा ,
तोड़ डालीँ जिनकी खातिर जमाने भर की रस्मेँ ।

11 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पीड़ान्तक अभिव्यक्ति।

OM KASHYAP ने कहा…

बहुत ही सार्थक एवं सुन्‍दर संदेश देती प्रस्‍तुति बहुत पसन्द आई।

केवल राम ने कहा…

कयूँ घोट दिया गला उन्होँने मेरे एकवार का ,
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।

ह्रदय की पीड़ा उभर आई है इन शब्दों में ....क्या कहूँ

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत शिकायत है ज़माने से !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Ye jamaana aisa hi hai ... bahut peeda hai gazal mein ...

vandana gupta ने कहा…

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (7-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

वाणी गीत ने कहा…

लूट लिए जाते हैं वफ़ा की राह में अक्सर
लूट ले जाते हैं गमखार ही ...
होता है कभी कभी ऐसा भी जिंदगी में ...
दर्द को बयान कर रही है कविता !

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

मेरे वो दोस्त जिन पर मैँ करता था नाज कभी ,
करके यकीँ जिनको बतलाये अपने मैँने राज सभी ।
हाय अफसोस ! उन्हीनेँ तोड़ा है मेरे यकीन को ,
पहले नहीँ मालूम था निकलेगेँ धोखेवाज वहीँ ।....

बेहद भावपूर्ण मार्मिक रचना...

Kailash Sharma ने कहा…

मेरे वो दोस्त जिन पर मैँ करता था नाज कभी ,
करके यकीँ जिनको बतलाये अपने मैँने राज सभी ।
हाय अफसोस ! उन्हीनेँ तोड़ा है मेरे यकीन को ,
पहले नहीँ मालूम था निकलेगेँ धोखेवाज वहीँ ।

बहुत ही यथार्थपरक सुन्दर रचना..

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ab bhi sambhal jaiye janaab log hathon me namak liye ghoomte hain.

Kunwar Kusumesh ने कहा…

नाटक ना करो जबान से प्यार के इजहार का ,
लूटा ही गया है मुझको नाम देकर प्यार का ।

आपकी पीड़ा समझने लायक है.

निकला है कौन इतना बेवफा अशोक जी ?
हाँ, प्यार में चलती है बहुत नोक-झोंक जी.