रविवार, सितंबर 26, 2010

तपा सकेँ अगर सोना तो हृदय मेँ अगन होँनी चाहिए।

हो चुके बहुत उपाय अब तो कुछ बदलना चाहिए।
इंसान को वक्त के साथ ही बदल जाना चाहिए।।

    खेलकर आग से जलाये हमने बहुत-से घर, शहर।
    अब तो बर्फ की मानिद पिघल जाना चाहिए ।।

सुगंध इस गुलशन की खोई हुई है कहीँ ।
इस गुलशन को अब तो फिर से संभारना चाहिए ।।


   आदमी की जात है कमजोरियाँ होँगी जरूर ।
   तपा सकेँ अगर सोना तो हृदय मेँ अगन होनी चाहिए ।।

खेल सकेँ अगर तारोँ से खिलौनोँ की तरह ।
हमेँ भी बच्चोँ के दिल-सा बेहद मचलना चाहिए ।।

   रूठ   गये   हैँ   वो   हमसे    अब    बे-बजह ।
   दिल अगर पत्थर है तो पत्थर भी पिघलना चाहिए ।

तुम तो चल दिये पूर्व दिशा हम किधर जाये ।
कोई शख्स तो ऐसा मिले जिससे दिल बहलना चाहिए ।।

    "अंजान" सच है! इस घुटन से मुक्ति हम पायेगेँ जरूर ।
    इन घुटन भरी गलियोँ से हमेँ निकल आना चाहिए ।।

9 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सोना तपाने की तपन हो तो ही जीवन काम का।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आदमी की जात है कमजोरियाँ होँगी जरूर ।
तपा सकेँ अगर सोना तो हृदय मेँ अगन होनी चाहिए ।।

बहुत खूब ..अच्छी प्रस्तुति

मनोज कुमार ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति।

उपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा…

प्रेमरस(विरह का पुट) पर कविता प्रकाशित हुइ
है , कृपया अवलोकन करें...........

उपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा…

अशोक जी नमस्कार!!!!!!!
इस प्रकार की प्रेरणादायी रचनायें मुझे बहुत
अच्छी लगती हैं , एक चिकित्सक के दायित्व
के साथ साथ आप अपने रचनाकार पक्ष के
साथ भी न्याय कर रहे हैं..........
आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिये धन्यवाद!!!!!!!!!!!!

Ramesh singh ने कहा…

बहुत खूब। बहतरीन गजल के लिए बहुत-बहुत आभार।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

डा. अंजान साहब,
आपके ब्लॉग पर ये पहली हाज़िरी है. आकर अच्छा लगा...
आपकी भावनाओं ने प्रभावित किया है...
आप अच्छा लिखते हैं...
हां, इसमें शायरी के कायदों की कमी ज़रूर झलकती है...
इस सुन्दर लेखन के लिए बधाई स्वीकार कीजिए.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहतरीन गजल के लिए बहुत-बहुत आभार।

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

हो चुके बहुत उपाय अब तो कुछ बदलना चाहिए।
इंसान को वक्त के साथ ही बदल जाना चाहिए।।
insaan ko vqt ke sath hi ab to bdlnaa chahiye . bhi is men aakhir tk bhr bnaayi jaa sksti he krpyaa anythaa naa len chota munh bhi bat he . mamfi chate hen . gzl kaa andaaz of iske sur iske vichar chintn mnthn bhut khub he mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthaan