ऐ-चाँद बता तू ,
तेरा हाल क्या हैँ ?
किस जुस्तजू मेँ ,
तू फँसा हुआ ?
क्यूँ छाया हुआ
घनघोर अँधेरा ।
बता तेरी चाँदनी
को हुआ क्या हैँ ?
कभी तिल-तिल घटता हैँ ,
कभी बढ़ता हैँ तू ,
क्यूँ आसमाँ से
तू जुदा हुआ है ?
कहाँ हैँ तू
क्यूँ छुपा हुआ हैँ।
क्यूँ शरमा रहा है तु ,
तू क्यूँ घबराया हुआ ?
जो दाग है तुझमेँ ,
क्यूँ उससे खौफ
खाया हुआ है ?
बता तो तू मुझे ,
क्यूँ इन बादलोँ
बीच छुपा हुआ हैँ ।
महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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3 वर्ष पहले
17 टिप्पणियाँ:
अब बादल हट ही नहीं रहे हैं तो बेचारा चाँद क्या करे ?
अच्छी प्रस्तुति
thanx for ue comment.i used to read ur blog.ur posts r really incredible.
धरती की दुर्दशा पर छिप के ही रो लेता है।
चाँद इस मामले में भैये बड़ा दल बदलू टाइप का रहा है ....सो हम क्या कहें ?.........सो सोच विचार कर ही :-)
....अच्छी प्रस्तुति
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
बहुत बहुत बधाई अच्छी रचना के लिए |
आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |इसी प्रकार
प्रोत्साहित करते रहें |आभार ब्लॉग पर आने के लिए
आशा
जो दाग है तुझमेँ ,
क्यूँ उससे खौफ
खाया हुआ है ?
शायद नहीं...बल्कि ये प्रेरणा देता है कि चांदनी बांटकर दूसरों की ज़िन्दगी में कुछ उजाला किया जा सकता है.
अच्छी रचना है...बधाई.
चाँद पर बढ़िया कविता , संवेदनशील मन के क्या कहने !
very nice poen on chaand
बहूत खूब. आपने चाँद को उसके दाग की याद दिलाकर अच्छा ही किया , वो जरुर निकलेगा बादलो के ओट से . खूबसूरत भाव
चंद और चांदनी की सुंदरता का सुन्दर उल्लेख, बधाई डॉ साब.
चाँद को लेकर आपने बहुत खुबसूरत रचना लिखी है !
achhi rachna dr sahaab.... badhai swikaarein.... aap mere blog par padhare uske liye bhi dhanyawaad...
नमस्कार अशोक जी!!!!!!!
बहुत ही उम्दा , आज भी चाँद कवियों की
प्रेरणा का स्रोत है...........इसके प्रेरक गुण
का सदियों से कवियों ने दोहन किया है आप
पूर्णत: सफ़ल रहे भावनओं को शब्दों में
निरूपित करने में.....................
धन्यवाद..............
चाँद पर लिखी आपकी कविता दिल को छू गई। बहुत कमाल का लिखते हैँ आप। बहुत-बहुत बधाई।
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति. एक कवी ही है ज्यो चाँद से उसके हालत पूंछ सकता है. वरन ये दुनियावाले बड़े बेदर्द होते है. चाँद की क्यों सोचेंगे.
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