महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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3 वर्ष पहले
24 टिप्पणियाँ:
जब खुद पे न हो ऐतबार तो दुनिया पर क्या करें ....
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
सचमुच, बहुत बेजार है यह दुनिया।
डॉ. साहब सचमुच, बहुत बेजार है यह दुनिया।
खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता ,
बिलकुल सही फर्माया है आपने गुलाब चाहता पर कांटो से परहेज करता हैं
हमारे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।
सरसों की फसल और सर्दी परवान पर,मालीगांव
kya khoob kaha hai duniya ke baare me
खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता ...
क्या बात है डाक्टर साहब .. लगता है वो सच्चा प्यार नहीं करता ...
बहुत खूबसूरत एहसासों को शब्द दिए हैं ...
>>> संगीता स्वरूप दी मुक्त कंठ से रचना को सराहने तथा चर्चा मंच पर स्थान देने के लिय बहुत बहुत आभार दी।
>>> प्रवीण पांडेय जी आपके स्नेह के लिए दिल से आभार।
>>> सुरेन्द्र जी ब्लोग पर आने तथा उत्साहबर्धन के लिए शुक्रियाँ ।
>>> सत्यम शिवम जी आप पहली बार ब्लोग पर आये आपका स्वागत है और आशा है कि आगे भी स्नैह बनाये रखेगेँ।
>>> रश्मि प्रभा जी वास्तव मेँ दुनियाँ बहुत ही बेज़ार है। आपके समर्थन का शुक्रियाँ।
>>> दिगम्बर नासवा जी हौसलाअफजाई एवं आपके स्नैह का दिल से आभार।
कितनी बेजार है ये दुनियाँ ,
कोई किसी का इंतजार नही करता
vah ashok ji,
kya baat hai
कितनी बेजार है ये दुनियाँ ,
कोई किसी का इंतजार नही करता ,
सुंदर रचना।
खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता
बिलकुल दुरुस्त फरमाया। अच्छी रचना। बधाई।
बेहतरीन अभिव्यक्ति अशोक भाई...
खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता ,
वाह क्या बात कही है आपने...बधाई
नीरज
खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता ,
आपने वास्तविकता से रुबरु कराया है...बहूत खूब!
आग़ोश में चाँद
कोई वक्त बर्बाद नहीं करता
बेवफ़ा का इंतेज़ार नहीं करता
हुकूमत करता है दिल पे वही
जो ख़िलाफ़े ए जानाँ नहीं करता
चाँद हो जिसकी आग़ोश में
वही चाँद का दीदार नहीं करता
ख़ुश्बू जो चाहोगे कांटे मिलेंगे
अरमान ज़माना पूरे नहीं करता
'अनवर' हाल अपना क्यों सुनाए
चारागर जब ऐतबार नहीं करता
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चारागर = हमदर्द
सच मै बेजार हो गई ये दुनिया .......
लगता है इसे हम प्यार नहीं करते !
रहते भी हैं उसके दिल मै
फिर भी इज़हार नहीं करते !
सुन्दर रचना बधाई दोस्त !
duniya bejar hai, ye pata tha....aaj shabdo me padha.........achchha laga...
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
5/10
"कितनी बेजार है ये दुनियाँ ,
कोई किसी का इंतजार नही करता"
पढने लायक है ग़ज़ल
तमन्ना रखता है वो चाँदनी की ,
मगर चाँद का दीदार नही करता ,
क्या बात कही है अशोक कुमारजी, मजा आ गया पढकर!
सत्य है...
दुनिया ऐसी ही है!
हाँ कुछ ऐसा ही इस दुनियाँ का दस्तूर की हम इंसान चाहता है लेकिन खुद कुछ भी नहीं करना चाहता .
कितनी बेजार है ये दुनियाँ ,
कोई किसी का इंतजार नही करता ,
वाह क्या बात है ...बधाई!
drd ki ajb mnzr kshi he jnaab bhut khub . akhtar khan akela kota rajsthan
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