महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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3 वर्ष पहले
27 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर।
वाह जी पूरे गणित की किताब हो गए ..बहुत खूब
कभी बनाके बिगाड़ा, कभी खुद ही बनाया,
शेष जो बचा हमेशा जीरो (0) ही पाया
क्या बात है ...अब आया गणित समझ में....क्या कमाल है .....बहुत खुबसुरत ..क्या कहूँ ...शुक्रिया
@>>प्रवीण पाण्डेय जी
@>>संगीता स्वरूप जी
@>>केवल राम जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा मेरी गणितमय कविता के लिए उत्साह बढ़ाने और आपके स्नैह के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।
वाह! बेहतरीन रचना... ब्लॉग का डिजाईन भी एक दम ज़बरदस्त बना लिया है... बहुत खूब!
गणित को बहुत अच्छे ढंग से पिरोया है आपने अपनी रचना में...बधाई...
नीरज
बहुत खूब.....सुन्दर रचना....
गणित में बहुत कुछ कह दिया | सुन्दर रचना |
hindi kavita ko ganit se bahen milate dekh achchha laga:)
>>> शाहनवाज जी कविता के लिए हौसला बढ़ाने तथा ब्लोग के डिजाईन को सराहने के लिए आपका आभारी हूँ ।
>>> नीरज जी आपकी टिप्पणीयोँ से जो ऊर्जा मिलती हैँ वह मुझे काफी उत्प्रेरित करती है ।
>>> मोनिका शर्मा जी आप काफी active person हैँ । मेरे अन्य blogs पर भी उपस्थित रहने के लिए आपका दिल से शुक्रिया ।
>>> नरेश सिँह राठौर जी कविता को सराहने के लिए शुक्रियाँ जी।
>>> मुकेश कुमार सिँहा जी आपको कविता पसन्द आयी और आपके इस स्नैह के लिए शुक्रियाँ जी
she appears to be a mathmetician
ये कैसी कयामत आई, ये कैसा जुल्म ढाया
कभी परिमाप से मापा मुझे, कभी क्षेत्रफल मेँ नपाया।
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
ब्लोग डिजाईन.....ज़बरदस्त है
कभी प्लस मेँ तो कभी माइनस मेँ खुद को पाया,
भाग तो बहुत दिए पर कभी शेष न बच पाया
गणित के इस नए प्रयोग से अपने रचना की थ्योरम जरूर सोल्व कर ली है .... अच्छी रचना ...
जीवन का गणित भी अजीब है\ जब जमा करते हैं तो माइनस हो जाता है। अच्छी लगी रचना। बधाई।
सुन्दर गणित सुन्दर रचना
कभी प्लस मेँ तो कभी माइनस मेँ खुद को पाया,
भाग तो बहुत दिए पर कभी शेष न बच पाया
भई वाह क्या खूब लिखा है...
http://veenakesur.blogspot.com/
>>> कुवँर कुशमेश जी आपका आर्शीवाद हमेशा बना रहेँ। आपका स्नैह मिलता रहेँ।
>>> संजय भास्कर जी कविता के लिए हौसला बढ़ाने तथा ब्लोग के डिजाईन को सराहने के लिए धन्यवाद।
>>> दिगम्बर नासवा जी उत्साहवर्धन तथा आपके स्नैह के लिए तहेदिल से शुक्रियाँ।
>>> निर्मला कपिला जी बिल्कुल सही कहा है आपने
जीवन मेँ हर प्लस के बाद माइनस और हर माईनस के बाद प्लस को आते रहना ही है।
>>> रचना दिक्षित जी तथा वीना जी कविता को सराहने तथा ब्लोग पर आने के लिए आपका तहेदिल से शुक्रियाँ।
plus minus ki khoob kahi , pakad me to kuchh aata hi nahi ...sara khel bhi man ka hi hai ....chaho to ek aur ek gyarah kar lo ...jo chaho to mutthi khali hi samjho ..isi priprekhy me ise padh kar dekhen ..
बन्द थी मुट्ठी खाली ही
http://shardaarora.blogspot.com/2010/11/blog-post_25.html
jiwan ke ganit ko bakhobi smjhaya hai aapne.. ati sundar
वाह नया अन्दाज
>>> शारदा अरोरा जी बिल्कुल सही कहा जी आपने "बन्द थी मुट्ठी खाली ही" ऐसा ही है जीवन मेँ ।
>>> एम. वर्मा जी और अरूण चन्द्र राय जी कविता को सराहने तथा आपके स्नैह के लिए शुक्रियाँ ।
जीवन के हिसाब में पास हुए या फेल यह तो आपको ही पता होगा कविता के हिसाब से बहुत अच्छी रचना ! बधाई एवं आभार !
वाह! बेहतरीन रचना..
जिन्दगी का बेहतरीन चित्रण प्रस्तुत किया हैं आपने
हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
मालीगांव
साया
लक्ष्य
saare ganitiya ehsaas jeevant ho uthe!
कभी प्लस मेँ तो कभी माइनस मेँ खुद को पाया,
भाग तो बहुत दिए पर कभी शेष न बच पाया ||
सर जी, आज आप ने मेरी पहली महिला मित्र की याद दिला दी, वो इंजीनियरिंग कॉलेज में थी, और मैं सीधा साधा एम.ए. करने वाला! बड़ा हिसाब किताब आता था उसको| शायद आप भी मैथ के उस फेर में पड़े होंगे कभी!!!!!
कविता के लिए बधाई स्वीकारें..........
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