रविवार, दिसंबर 12, 2010

कितनी बेजार है ये दुनियाँ


कितनी    बेज़ार    है    ये     दुनियाँ ,
कोई किसी का इंतजार नही करता ,

हूकूमत   करता   है दिले-यार पे ,
मगर उसे प्यार नही करता ,



जीया    तो    करता   है    वास्ते   उसके ,
मगर एहसास दर्दे-यार का नही करता ,

तमन्ना रखता है वो चाँदनी की ,
मगर चाँद का दीदार नही करता ,

खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता ,

'अंजान' सुनाता तो है कत्ले हालात उसे ,
मगर मुनसिफ पे एतबार नही करता ,

24 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जब खुद पे न हो ऐतबार तो दुनिया पर क्या करें ....


बहुत खूबसूरत गज़ल ..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सचमुच, बहुत बेजार है यह दुनिया।

Surendra Singh Bhamboo ने कहा…

डॉ. साहब सचमुच, बहुत बेजार है यह दुनिया।

खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता ,
बिलकुल सही फर्माया है आपने गुलाब चाहता पर कांटो से परहेज करता हैं

हमारे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।

सरसों की फसल और सर्दी परवान पर,मालीगांव

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kya khoob kaha hai duniya ke baare me

दिगम्बर नासवा ने कहा…

खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता ...

क्या बात है डाक्टर साहब .. लगता है वो सच्चा प्यार नहीं करता ...
बहुत खूबसूरत एहसासों को शब्द दिए हैं ...

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>> संगीता स्वरूप दी मुक्त कंठ से रचना को सराहने तथा चर्चा मंच पर स्थान देने के लिय बहुत बहुत आभार दी।

>>> प्रवीण पांडेय जी आपके स्नेह के लिए दिल से आभार।

>>> सुरेन्द्र जी ब्लोग पर आने तथा उत्साहबर्धन के लिए शुक्रियाँ ।

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>> सत्यम शिवम जी आप पहली बार ब्लोग पर आये आपका स्वागत है और आशा है कि आगे भी स्नैह बनाये रखेगेँ।

>>> रश्मि प्रभा जी वास्तव मेँ दुनियाँ बहुत ही बेज़ार है। आपके समर्थन का शुक्रियाँ।

>>> दिगम्बर नासवा जी हौसलाअफजाई एवं आपके स्नैह का दिल से आभार।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

कितनी बेजार है ये दुनियाँ ,
कोई किसी का इंतजार नही करता
vah ashok ji,
kya baat hai

सुज्ञ ने कहा…

कितनी बेजार है ये दुनियाँ ,
कोई किसी का इंतजार नही करता ,

सुंदर रचना।

निर्मला कपिला ने कहा…

खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता
बिलकुल दुरुस्त फरमाया। अच्छी रचना। बधाई।

Shah Nawaz ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति अशोक भाई...

नीरज गोस्वामी ने कहा…

खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता ,

वाह क्या बात कही है आपने...बधाई
नीरज

Aruna Kapoor ने कहा…

खुश्बू चाहता है बस गुलाबोँ की ,
क्यूँ काँटोँ से वो प्यार नही करता ,

आपने वास्तविकता से रुबरु कराया है...बहूत खूब!

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

आग़ोश में चाँद

कोई वक्त बर्बाद नहीं करता
बेवफ़ा का इंतेज़ार नहीं करता

हुकूमत करता है दिल पे वही
जो ख़िलाफ़े ए जानाँ नहीं करता

चाँद हो जिसकी आग़ोश में
वही चाँद का दीदार नहीं करता

ख़ुश्बू जो चाहोगे कांटे मिलेंगे
अरमान ज़माना पूरे नहीं करता

'अनवर' हाल अपना क्यों सुनाए
चारागर जब ऐतबार नहीं करता

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चारागर = हमदर्द

Minakshi Pant ने कहा…

सच मै बेजार हो गई ये दुनिया .......
लगता है इसे हम प्यार नहीं करते !
रहते भी हैं उसके दिल मै
फिर भी इज़हार नहीं करते !

Minakshi Pant ने कहा…

सुन्दर रचना बधाई दोस्त !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

duniya bejar hai, ye pata tha....aaj shabdo me padha.........achchha laga...

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूबसूरत गज़ल ..

उस्ताद जी ने कहा…

5/10

"कितनी बेजार है ये दुनियाँ ,
कोई किसी का इंतजार नही करता"
पढने लायक है ग़ज़ल

रविंद्र "रवी" ने कहा…

तमन्ना रखता है वो चाँदनी की ,
मगर चाँद का दीदार नही करता ,
क्या बात कही है अशोक कुमारजी, मजा आ गया पढकर!

अनुपमा पाठक ने कहा…

सत्य है...
दुनिया ऐसी ही है!

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

हाँ कुछ ऐसा ही इस दुनियाँ का दस्तूर की हम इंसान चाहता है लेकिन खुद कुछ भी नहीं करना चाहता .

Sunil Kumar ने कहा…

कितनी बेजार है ये दुनियाँ ,
कोई किसी का इंतजार नही करता ,
वाह क्या बात है ...बधाई!

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

drd ki ajb mnzr kshi he jnaab bhut khub . akhtar khan akela kota rajsthan