रविवार, दिसंबर 19, 2010

ना जाते थे किसी दर पे हम


ना जाते थे किसी दर पे हम
जब रखा किसी दर पे सर
तो सर को उठाना भूल गये।

सोचा था उनका करेँगे कत्ल
सामने आये जो नायाब सनम्
तो उनपे तलवार उठाना भूल गये।

भूल गये थे अपना कर्म
रास्ता दिखाने आये थे वो
खुद वापिस जाना भूल गये।

सोचा था करेँगे बातेँ दो , चार
आये जो सामने हंसी सनम्
लबोँ को हिलाना भूल गये।

22 टिप्पणियाँ:

Suman Sinha ने कहा…

bahut hi achhi rachna

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना| आभाए|

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बड़ी बेचारगी है ....अब क्या करेंगे ?

खूबसूरत अभिव्यक्ति

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यही है प्यार की बेचारगी।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

waah, bahut hi badhiyaa

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

केवल राम ने कहा…

बेचारगी बड़ी कमवख्त है ................क्या से क्या नहीं करवाती ............बहुत प्रभावी ..शुभकामनायें

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

क्या बात है मजा आ गया पढ़कर....इस बेचारगी के क्या कहने

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

jnaab sr jhukaane or sr kaatne ka yeh ajb mnzr bhut khub behtrin chintn or rchna sheli he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

bahot khoob!

निर्मला कपिला ने कहा…

लोग खुशियाँ मनाना भूल गये
आज हसना हसाना भूल गये
भूल गये रिश्ते नाते सारे
अपना फर्ज़ निभाना भूल गये
धर्मों के ठेकेदार बने जो भी
अपना धर्म निभाना भूल गये
आपकी रचना पर मेरे दो शब्द। बहुत अच्छी लगी आपकी रचना। बधाई

मंजुला ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्ति........

संजय भास्‍कर ने कहा…

..बहुत प्रभावी.... बहुत पसन्द आया
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>> सुमन सिन्हा जी रचना को पढ़कर सराहने के लिए धन्यवाद ।

>>> Patali-the-village जी ब्लोग पर आने और कविता को सराहने के लिए शुक्रियाँ।

>>> संगीता स्वरूप जी ब्लोग पर आने और उत्साहबर्धन के लिए तहेदिल से शुक्रियाँ ।

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>> प्रवीण पाण्डेय जी
>>> रश्मि प्रभा जी
>>> कुवँर कुशमेश जी
>>> केवल राम जी

आप सभी का ब्लोग पर आने और हौसलाअफजाई तथा रचना को सराहने के लिए बहुत बहुत आभार ।

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

वाह अशोक भाई कमाल की कविता है ये| बहुत बहुत बधाई|
excellent

Girish Kumar Billore ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

रविंद्र "रवी" ने कहा…

एक लाजवाब रचना!

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>>वीना जी
>>>अख्तर खान जी
>>>निर्मला कपिला जी
>>>अंजाना गुड़िया जी

आप सभी का ब्लोग पर आने और हौसलाअफजाई तथा आपके स्नैह के लिए दिल से आभार ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

सोचा था करेँगे बातेँ दो , चार
आये जो सामने हंसी सनम्
लबोँ को हिलाना भूल गये।

sanam ke liye itne kasside:)
kya baat hai doctor sahab:)

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>>मंजुला जी
>>>संजय भास्कर जी
>>>नवीन जी
>>>गिरीश मुकुल जी

आप सभी का ब्लोग पर आने तथा उत्साहबर्धन और आपके स्नैह का दिल से आभार ।

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

रविन्द्र रवि जी
मुकेश कुमार सिन्हा जी

आपका सभी का हौसलाअफजाई और आपके स्नैह के लिए दिल से शुक्रिया ।