कौन कहता है जमीँ सें,
छुआ नहीँ जा सकता आँसमान।
नहीँ था जब भूखा,इस तथ्य से था "अंजान";
चन्द्रमा भी लगता था मुझे प्रेयसी के समान ।।
शिकार को निकला था जंगल मेँ,
भूख से था मैँ परेशान।
गरिमा से ज्योति बिखेरता चन्द्रमा,
लगता था मुझे एक बड़ी रोटी के समान।।
महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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3 वर्ष पहले
5 टिप्पणियाँ:
Aati sundar rachan hai, bhookh mai esa hi hota hai
Wow your thoughts to good
जीवन के परमसत्य को बडी खूबसूरती से उकेरा है आपने, बधाई।
………….
सपनों का भी मतलब होता है?
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा.....
बहुत ही खुबसुरती से इतना कटु सत्य व्यक्त कर दिया हैँ। बधाई!
बहुत खूब, लाजबाब !
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