पूछता कौन है परिन्दे से,
तू किस डाली का महमान हैँ।
बैठ जाये तू जिस डाली पे,
बस वही तेरा जहान हैँ।।
महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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3 वर्ष पहले
9 टिप्पणियाँ:
पंछी जहाँ जाते है वही अपनी दुनियाँ बना लेते है कितना सटीक कहा हैँ आपने। अति सुन्दर!
पंछियोँ का संसार निराला होता है । सुन्दर पंक्तियाँ! आभार
सुन्दर पंक्तियाँ।बधाई
बेहतरीन ....तभी तो लगता है की काश हम भी परिंदा होते ..
सुन्दर पंक्तियाँ।बधाई
सच में आदमी ही है जो एक आशियाना बनाने तक को मोहताज हो जाता है!
वाह जनाब वाह मैंने आपकी रचनाए पहली बार सुनी और आपके मुरीद हो गए हैं...
बाकमाल लिखते हैं आप.... बहुत खूब
छोटी मगर बहुत अर्थपूर्ण रचना । बधाई।
पूछता कौन है परिन्दे से,
तू किस डाली का महमान हैँ।
......सुन्दर पंक्तियाँ! आभार
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