रविवार, अगस्त 29, 2010

गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।

 गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।
 वो जीने से पहले ही मर जाते हैँ।।

        रुठे हो किनारे भी जिन से।
        वो डूबकर भी पार उतर जाते हैँ।।

 यादोँ की टीस कहाँ जाती हैँ।
 जख्म तो वक्त के साथ भर जाते हैँ।।

      खौफ कितना हैँ हमारे अन्दर।
      अपनी साँस की शोर से ही डर जाते हैँ।।

 शबनम के सुरुर की तरह हँस-रोकर।
 सबके दिन रात तो गुजर जाते हैँ।।

        बे-शऊर हम तेरी नादानी से।
        उनकी नजरोँ से उतर जाते हैँ।।

15 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत रचना है ...इसे गज़ल रूप में प्रकाशित करें ...

चर्चा मंच पर आपकी रचना चर्चा मंच के सदस्य स्वयं ही ले लेंगे ....आपको उसके लिए कुछ विशेष नहीं करना है ..बस रचना पाठक को अच्छी लगनी चाहिए ...

Urmi ने कहा…

वाह ! बहुत खूब लिखा है आपने! बिल्कुल सही कहा है आपने की जो ग़मों की झलक से डरते हैं वो जीने से पहले ही मर जाते हैं! शानदार प्रस्तुती!

संजय भास्‍कर ने कहा…

आप ने बहुत कमाल की गज़ले कही हैं

Patali-The-Village ने कहा…

गजल बहुत अच्छी लगी धन्यवाद|

Shah Nawaz ने कहा…

गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।
वो जीने से पहले ही मर जाते हैँ।।

बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल! वैसे बात भी एकदम ठीक है.

Shah Nawaz ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल! वैसे बात भी एकदम ठीक है.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अब बहुत अच्छी लग रही है .. :) हर शेर वज़नदार ..बहुत खूबसूरत

अजय कुमार ने कहा…

उम्दा है ,बधाई ।

कविता रावत ने कहा…

शबनम के सुरुर की तरह हँस-रोकर।
सबके दिन रात तो गुजर जाते हैँ।।
बे-शऊर हम तेरी नादानी से।
उनकी नजरोँ से उतर जाते हैँ।।
...bahut kuch kahne ka yah khoobsurat andanj bahut achha laga..

शारदा अरोरा ने कहा…

badhiya ashaar hain , pasand aaee gazal ...

रानीविशाल ने कहा…

Waah! kya baat hai ....behad umda gazal.
Badhai

ZEAL ने कहा…

...गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।
वो जीने से पहले ही मर जाते हैँ।।

Mindblowing !

Archana writes ने कहा…

bahut hi khubsurat likha hai aapne...bhadhai....

Ramesh singh ने कहा…

आपकी गजल मेँ शब्दोँ का चयन बहुत खूबसूरत हैँ। आभार।

Minakshi Pant ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत बात कही आपने जिंदगी के हर पहलु से अवगत करा दिया हो जेसे !