जब तन्हा होँ किसी सफर मेँ,
तब गीत मेरा तुम गा लेना।
घुमड़ रहे होँ जब सोचो के बादल,
तब तुम बर्षा बनकर रो लेना।
जब याद सताये किसी हमसफर की,
तब कल्पित मूरत तुम उसकी बना लेना।
बेकरारी हद से जब बढ़ती जाये,
संदेश उसे तुम अपना भिजबा देना।
बिन उसके जब जिया ना जाये,
तब दिल मेँ उसे तुम बसा लेना।
लगने लगे जब ऊचाईयोँ से डर।
इस जमीँ को थोड़ा ऊपर उठा लेना।
महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
-
आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
...
3 वर्ष पहले
16 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी कविता है। सुन्दर अति सुन्दर
हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
मालीगांव
साया
लक्ष्य
खूबसूरत भावों से सजी सुन्दर गज़ल ...
एक छोटी सी भावपूर्ण रचना |बधाई
आशा
जब तन्हा होँ किसी सफर मेँ,
तब गीत मेरा तुम गा लेना।
घुमड़ रहे होँ जब सोचो के बादल,
तब तुम बर्षा बनकर रो लेना।
कोमल एहसास की अभिव्यक्ति।
lovely lines !
Bahut sundar bhavnaaen sanjoee hai aapane is rachana me ....Shubhkaamnaae.
लगने लगे जब ऊचाईयोँ से डर।
इस जमीँ को थोड़ा ऊपर उठा लेना।
वाह क्या बात कही है आपने इन पंक्तियों के द्वारा .......... अच्छी लगी आपकी कविता
अच्छी पंक्तिया है ......
एक बार जरुर पढ़े :-
(आपके पापा इंतजार कर रहे होंगे ...)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_08.html
waah..too gud1
बहुत ही खूबसूरत भाव लिए हुए कविता लिखी है आपने अशोक जी.
ईद पर एक लेख लिखा है, ईद के दिन ज़रूर पढियेगा....
जब याद सताये किसी हमसफर की,
तब कल्पित मूरत तुम उसकी बना लेना।
सुन्दर पंक्तियाँ! ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
जब याद सताये किसी हमसफर की,
तब कल्पित मूरत तुम उसकी बना लेना।
बहुत खूब ..बढ़िया लिखा आपने
sundar prayas. mehanat rang layegee ek din.
आशा से पिरोये भाव।
लगने लगे जब ऊचाईयोँ से डर।
इस जमीँ को थोड़ा ऊपर उठा लेना।
very profound! thank you :-)
बहुत अच्छी कविता है।
एक टिप्पणी भेजें