शनिवार, नवंबर 06, 2010

अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ

दिल लेके तंगदिली दिखाती हैँ
इश्के राहेँ मुश्किल बताती हैँ

रातोँ को वो सपने सजाती है
दिनोँ को वो खुद से घबराती हैँ


मेँहंदी वो हाथो पे लगाती हैँ
जख्म वो दिल पे दिखाती हैँ

अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ
पूछते है तो मोती बताती हैँ

कभी वो इतना करीब आती हैँ
कभी वो हमसे दूरी बनाती हैँ

दरमियाँ फाँसले इतने क्यूँ बनाती हैँ
इसे वो हमारा नसीब बताती हैँ

33 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ी सुन्दर पंक्तियाँ।

vandana gupta ने कहा…

बडे गज़ब के भाव पिरोये हैं…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत कशमकश है भाई ... ऐसा क्यों करती हैं ?

अच्छी प्रस्तुति

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

अच्छी रचना है.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.

मनोज कुमार ने कहा…

बेहतरीन ---
पूछते है तो मोती बताती हैँ

केवल राम ने कहा…

बहुत सुंदर पंक्तियाँ , शुभकामनायें

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बेहतरीन पंक्तियाँ .....दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

@प्रवीण पाण्डेय जी
@वन्दना जी
@संगीता स्वरूप जी
@मनोज जी
@केवल राम जी
@डाँ. मोनिका शर्मा जी
@शाहिद मिर्जा जी
आप सभी गुरुजनोँ एवं मित्रोँ का ब्लोग पर आने तथा उत्साहबर्धन के लिए हार्दिक आभार।

आशीष मिश्रा ने कहा…

बहोत ही भावमय पंक्तियो को उकेरा है आपने

अनुपमा पाठक ने कहा…

sundar panktiyan!!!!!

Dorothy ने कहा…

खूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई एक सुंदर रचना. आभार.
सादर
डोरोथी.

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

@आशीष मिश्रा जी
@अनुपमा पाठक जी
@डोरोथी जी
आप सभी का ब्लोग पर आने और हौसलाअफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बहुत सुन्दर भाव और शब्द संरचना। इस उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई।

संजय भास्‍कर ने कहा…

कभी वो इतना करीब आती हैँ
कभी वो हमसे दूरी बनाती हैँ

दरमियाँ फाँसले इतने क्यूँ बनाती हैँ
इसे वो हमारा नसीब बताती हैँ
प्यार का बेहतरीन अंदाज़, अच्छा और नया लगा

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

sundar abhivyakti...........

अशोक कुमार मिश्र ने कहा…

बेहतरीन ---
पूछते है तो मोती बताती हैँ.....
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बहुत सुन्दर भाव....

Kunwar Kusumesh ने कहा…

क्या बात है,आख़िर ऐसा क्यों करती हैं

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

@संजय जी
@Anjana(gudia) ji
@अशोक मिश्र जी
@सुमन मीत जी
@कुँवर कुशमेश जी

आप सभी आदरणीय गुरूजनोँ एवं मित्रोँ का ब्लोग पर आने तथा उत्साहबर्धन के लिए हार्दिक आभार।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ
पूछते है तो मोती बताती हैँ ...

प्यार करने वालों का यही दस्तूर है .... अपने दर्द छुपाते हैं ... बहुत लाजवाब ....

निर्मला कपिला ने कहा…

मेँहंदी वो हाथो पे लगाती हैँ
जख्म वो दिल पे दिखाती हैँ

अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ
पूछते है तो मोती बताती हैँ
vaah bahut khoob| badhaaI|

कविता रावत ने कहा…

मेँहंदी वो हाथो पे लगाती हैँ
जख्म वो दिल पे दिखाती हैँ
अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ
पूछते है तो मोती बताती हैँ

....बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

हर तरह से मुक़म्मल गज़ल बधाई
भाग्य

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

बढ़िया लिखा है जी.

तिलक राज कपूर ने कहा…

ये तो हस्‍तरेखाओं की गंभीर समस्‍या लग रही है।

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

@दिगम्बर नासवा जी
@निर्मला कपिला जी
@कविता रावत जी
@गिरीश बिल्लोर जी
@विजेन्द्र सिँह जी
@तिलक राज जी

आप सभी का ब्लोग पर आने और आपके स्नैह के लिए हार्दिक आभार।

लाल कलम ने कहा…

bahut sundar gajal hai,achhi rachna hai, bahut - bahut shubh kamna

Minakshi Pant ने कहा…

bahut khub rachna unki bhawnao ko apni jubaan se keh diya

Bharat Bhushan ने कहा…

सुंदर भाव समेटे है यह ग़ज़ल. अच्छी प्रस्तुति.

Bharat Bhushan ने कहा…

सुंदर भाव समेटे है यह ग़ज़ल. अच्छी प्रस्तुति.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

sundar bhawo wali khubsurat gajal..badhai!!

Ramesh singh ने कहा…

सुन्दर भावोँ को संजोया गजल मेँ आपने, शब्दोँ का चयन बढ़िया है। बधाई!

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

@दीप जी
@मीनाँक्षी पंत जी
@भूषण जी
@मुकेश जी
@रामेश जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा आपके स्नैह का शुक्रियाँ।