दिल लेके तंगदिली दिखाती हैँ
इश्के राहेँ मुश्किल बताती हैँ
रातोँ को वो सपने सजाती है
दिनोँ को वो खुद से घबराती हैँ
मेँहंदी वो हाथो पे लगाती हैँ
जख्म वो दिल पे दिखाती हैँ
अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ
पूछते है तो मोती बताती हैँ
कभी वो इतना करीब आती हैँ
कभी वो हमसे दूरी बनाती हैँ
दरमियाँ फाँसले इतने क्यूँ बनाती हैँ
इसे वो हमारा नसीब बताती हैँ
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33 टिप्पणियाँ:
बड़ी सुन्दर पंक्तियाँ।
बडे गज़ब के भाव पिरोये हैं…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत कशमकश है भाई ... ऐसा क्यों करती हैं ?
अच्छी प्रस्तुति
अच्छी रचना है.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
बेहतरीन ---
पूछते है तो मोती बताती हैँ
बहुत सुंदर पंक्तियाँ , शुभकामनायें
बेहतरीन पंक्तियाँ .....दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
@प्रवीण पाण्डेय जी
@वन्दना जी
@संगीता स्वरूप जी
@मनोज जी
@केवल राम जी
@डाँ. मोनिका शर्मा जी
@शाहिद मिर्जा जी
आप सभी गुरुजनोँ एवं मित्रोँ का ब्लोग पर आने तथा उत्साहबर्धन के लिए हार्दिक आभार।
बहोत ही भावमय पंक्तियो को उकेरा है आपने
sundar panktiyan!!!!!
खूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई एक सुंदर रचना. आभार.
सादर
डोरोथी.
@आशीष मिश्रा जी
@अनुपमा पाठक जी
@डोरोथी जी
आप सभी का ब्लोग पर आने और हौसलाअफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बहुत सुन्दर भाव और शब्द संरचना। इस उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई।
कभी वो इतना करीब आती हैँ
कभी वो हमसे दूरी बनाती हैँ
दरमियाँ फाँसले इतने क्यूँ बनाती हैँ
इसे वो हमारा नसीब बताती हैँ
प्यार का बेहतरीन अंदाज़, अच्छा और नया लगा
अच्छी प्रस्तुति
sundar abhivyakti...........
बेहतरीन ---
पूछते है तो मोती बताती हैँ.....
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बहुत सुन्दर भाव....
क्या बात है,आख़िर ऐसा क्यों करती हैं
@संजय जी
@Anjana(gudia) ji
@अशोक मिश्र जी
@सुमन मीत जी
@कुँवर कुशमेश जी
आप सभी आदरणीय गुरूजनोँ एवं मित्रोँ का ब्लोग पर आने तथा उत्साहबर्धन के लिए हार्दिक आभार।
अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ
पूछते है तो मोती बताती हैँ ...
प्यार करने वालों का यही दस्तूर है .... अपने दर्द छुपाते हैं ... बहुत लाजवाब ....
मेँहंदी वो हाथो पे लगाती हैँ
जख्म वो दिल पे दिखाती हैँ
अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ
पूछते है तो मोती बताती हैँ
vaah bahut khoob| badhaaI|
मेँहंदी वो हाथो पे लगाती हैँ
जख्म वो दिल पे दिखाती हैँ
अश्कोँ को वो अपने छुपाती हैँ
पूछते है तो मोती बताती हैँ
....बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
हर तरह से मुक़म्मल गज़ल बधाई
भाग्य
बढ़िया लिखा है जी.
ये तो हस्तरेखाओं की गंभीर समस्या लग रही है।
@दिगम्बर नासवा जी
@निर्मला कपिला जी
@कविता रावत जी
@गिरीश बिल्लोर जी
@विजेन्द्र सिँह जी
@तिलक राज जी
आप सभी का ब्लोग पर आने और आपके स्नैह के लिए हार्दिक आभार।
bahut sundar gajal hai,achhi rachna hai, bahut - bahut shubh kamna
bahut khub rachna unki bhawnao ko apni jubaan se keh diya
सुंदर भाव समेटे है यह ग़ज़ल. अच्छी प्रस्तुति.
सुंदर भाव समेटे है यह ग़ज़ल. अच्छी प्रस्तुति.
sundar bhawo wali khubsurat gajal..badhai!!
सुन्दर भावोँ को संजोया गजल मेँ आपने, शब्दोँ का चयन बढ़िया है। बधाई!
@दीप जी
@मीनाँक्षी पंत जी
@भूषण जी
@मुकेश जी
@रामेश जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा आपके स्नैह का शुक्रियाँ।
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