महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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3 वर्ष पहले
20 टिप्पणियाँ:
आपने तो बहुत अच्छा लिखा. 'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.
जब आवाज से घबराहट होने लगे, मन में शान्ति आना चाहती है।
बहुत सुन्दर अहसास और उनकी अभिव्यक्ति..
vaah bhaayi vaah mzaa aa gyaa . akhtar khan akela kota rajsthan
दास्तां ना कोई तुम मुझको सुनाओ ,
होता है दर्द अब इन दास्तां से ।
....दर्द का इंतहा होती है तो दास्ताँ से भी मन घबरा उठता है ...बहुत अच्छी रचना
>>> अक्षिता पाखी जी आप पहली बार ब्लोग पर आई आपका स्वागत है।
>>> प्रवीण भाई बिल्कुल सही कहा आपने शान्ती आने को है ।
बहुत बहुत शुक्रिया ।
>>> कैलाश सी शर्मा जी रचना को सराहने के लिए दिल से आभार ।
>>> अख्तर भाई रचना को सराहने के लिए शुक्रिया ।
>>> कविता जी बिल्कुल सही कहा आपने दर्द की इंतहा पर दांस्ताँ से भी घबराहट होती है । हार्दिक धन्यवाद आपका ।
सुन्दर अहसास!
नज़रेँ मिलाके ना नज़रेँ झुकाओ ,
क्यूँ जुल्म ढाती हो इस अंदाज़ से ।
आपका अंदाज़ आकर्षक है
बहुत सुन्दर डॉक्टर साहब
आप को नव वर्ष की बहुत सारी शुभ कामना
नया साल मुबारक हो,
साथ ही सभी ब्लॉग लेखक और पाठक को भी नव वर्ष की शुभ कामना के साथ
दीपांकर कुमार पाण्डेय (दीप)
http://deep2087.blogspot.com
>>>अंजना जी
>>>कुवँर कुशमेश जी
>>>दीप जी
>>>अनुपमा पाठक जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा उत्साहबर्धन के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया ।
बहुत अच्छे भाव लिए हुए आपकी रचना प्रभाव शाली है...लिखते रहें...
नीरज
सुंदर अभिव्यक्ति..नव वर्ष की शुभकामनाए...
हृदय की बात आपने अपने अंदाज़ से कही है. अच्चा लगा. आपके लिए नववर्ष मंगलमय हो.
सुन्दर अहसास
आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......
>>>नीरज गोस्वामी जी
>>>वीना जी
>>>भूषण जी
>>>संजय भास्कर जी
आप सभी का गजल को सराहने और हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद ।
बहुत खूबसूरत अंदाज़ ....
नव वर्ष की शुभकामनायें
दास्तां ना कोई तुम मुझको सुनाओ ,
होता है दर्द अब इन दास्तां से ।
aisa hota hai kya?
har dastan dard bhari....
kya khub likha aapne
nav varsh ki subhkmanayen..
जुल्फेँ ना यूँ चेहरे पे गिराओ ,
हो जायेगा अंधेरा इस खता से ...
vaah ashok ji .. kya baat है ... lajawaab sher है ये ...
aapko aur aapke poore pariwaar ko nav varsh mangalmay ho .....
अशोक भाई, बहुत प्यारी गजल है। बधाई स्वीकारें।
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मिल गया खुशियों का ठिकाना।
वैज्ञानिक पद्धति किसे कहते हैं?
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