सोमवार, दिसंबर 27, 2010

नज़रेँ मिलाके ना नज़रेँ झुकाओ


आवाज देके ना मुझको बुलाओ ,
घबराता हूँ मैँ अब आवाज से ।

नज़रेँ मिलाके ना नज़रेँ झुकाओ ,
क्यूँ जुल्म ढाती हो इस अंदाज़ से ।

जुल्फेँ ना यूँ चेहरे पे गिराओ ,
हो जायेगा अंधेरा इस खता से ।

तूफानोँ को ना तुम यूँ करीब लाओ ,
उड़ा ना जाये ले कहीँ ये जहाँ से ।

दास्तां ना कोई तुम मुझको सुनाओ ,
होता है दर्द अब इन दास्तां से ।  

20 टिप्पणियाँ:

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

आपने तो बहुत अच्छा लिखा. 'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जब आवाज से घबराहट होने लगे, मन में शान्ति आना चाहती है।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर अहसास और उनकी अभिव्यक्ति..

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

vaah bhaayi vaah mzaa aa gyaa . akhtar khan akela kota rajsthan

कविता रावत ने कहा…

दास्तां ना कोई तुम मुझको सुनाओ ,
होता है दर्द अब इन दास्तां से ।
....दर्द का इंतहा होती है तो दास्ताँ से भी मन घबरा उठता है ...बहुत अच्छी रचना

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>> अक्षिता पाखी जी आप पहली बार ब्लोग पर आई आपका स्वागत है।

>>> प्रवीण भाई बिल्कुल सही कहा आपने शान्ती आने को है ।
बहुत बहुत शुक्रिया ।

>>> कैलाश सी शर्मा जी रचना को सराहने के लिए दिल से आभार ।

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>> अख्तर भाई रचना को सराहने के लिए शुक्रिया ।

>>> कविता जी बिल्कुल सही कहा आपने दर्द की इंतहा पर दांस्ताँ से भी घबराहट होती है । हार्दिक धन्यवाद आपका ।

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

सुन्दर अहसास!

Kunwar Kusumesh ने कहा…

नज़रेँ मिलाके ना नज़रेँ झुकाओ ,
क्यूँ जुल्म ढाती हो इस अंदाज़ से ।

आपका अंदाज़ आकर्षक है

लाल कलम ने कहा…

बहुत सुन्दर डॉक्टर साहब
आप को नव वर्ष की बहुत सारी शुभ कामना
नया साल मुबारक हो,
साथ ही सभी ब्लॉग लेखक और पाठक को भी नव वर्ष की शुभ कामना के साथ
दीपांकर कुमार पाण्डेय (दीप)
http://deep2087.blogspot.com

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>>अंजना जी
>>>कुवँर कुशमेश जी
>>>दीप जी
>>>अनुपमा पाठक जी

आप सभी का ब्लोग पर आने तथा उत्साहबर्धन के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया ।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बहुत अच्छे भाव लिए हुए आपकी रचना प्रभाव शाली है...लिखते रहें...

नीरज

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति..नव वर्ष की शुभकामनाए...

Bharat Bhushan ने कहा…

हृदय की बात आपने अपने अंदाज़ से कही है. अच्चा लगा. आपके लिए नववर्ष मंगलमय हो.

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर अहसास
आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

>>>नीरज गोस्वामी जी
>>>वीना जी
>>>भूषण जी
>>>संजय भास्कर जी

आप सभी का गजल को सराहने और हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत अंदाज़ ....

नव वर्ष की शुभकामनायें

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

दास्तां ना कोई तुम मुझको सुनाओ ,
होता है दर्द अब इन दास्तां से ।

aisa hota hai kya?
har dastan dard bhari....


kya khub likha aapne
nav varsh ki subhkmanayen..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जुल्फेँ ना यूँ चेहरे पे गिराओ ,
हो जायेगा अंधेरा इस खता से ...

vaah ashok ji .. kya baat है ... lajawaab sher है ये ...
aapko aur aapke poore pariwaar ko nav varsh mangalmay ho .....

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अशोक भाई, बहुत प्‍यारी गजल है। बधाई स्‍वीकारें।

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मिल गया खुशियों का ठिकाना।
वैज्ञानिक पद्धति किसे कहते हैं?