महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
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आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
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3 वर्ष पहले
31 टिप्पणियाँ:
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
कितने काम आती है ज़िन्दगी।
जब लफ़्ज मैँ बन जाता हूँ ,
महफिल मेँ गुनगुनाया जाता हूँ ।
bahut badhiyaa , mahfil ki shaan
महफ़िल की रौनक बने रहें ..खूबसूरत रचना ...
हँस्ती -- को हस्ती कर लीजिए ..
बहुत सुंदर रचना ....
गीत , गुल, खुशबू और तीरंदाजी भी ...
सुन्दर रचना !
जब तीर मैँ बन जाता हूँ ,
नजरोँ से चलाया जाता हूँ ...
बहुत खूब ... तीर बनने हुनर भी सब को कहाँ अत है ... बेहतरीन ग़ज़ल है ....
बहुत खूब कहा है ...।
pahli do panktiyon mein hi 'waah' nikal gayi..puri rachna ki to kya hi baat hai...beautiful :)
बहुत ख़ूबसूरत...
एक ही इन्सान के इतने सारे किरदार पेश किया अपने और हर किरदार का एक खुबसूरत अंदाज मै परिचय !
बहुत खुबसूरत अंदाज़ बधाई !
bahut khoob, badhai.
हस्ती है मेरी उस फूल सी ,
जिसका इत्र बनाया जाता हूँ .
सुन्दर शेर ,बधाई.
>>> वन्दना जी
>>> प्रवीण पाण्डेय जी
>>> रश्मि प्रभा जी
>>> संगीता स्वरूप जी
आप सभी का ब्लोग पर आने और प्रोत्साहन तथा सहयोग के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
>>> डाँ. मोनिका शर्मा जी
>>> वाणी गीत जी
>>> दिगम्बर नासवा जी
>>> सदा जी
आप सभी का ब्लोग पर आने और हौसला अफजाई के लिय दिल से शुक्रिया ।
bahut sunder!
हस्ती है मेरी उस फूल सी ,
जिसका इत्र बनाया जाता हूँ ।
बहुत सुन्दर रचना है इत्र बन कर सब मे खुशी की खुश्बू फैलाओ। शुभकामनायें\
>>> पारूल जी
>>> कैलाश सी शर्मा जी
>>> मिनाँक्षी पंत जी
>>> जेन्नी शबनम जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा सहयोग और प्रोत्साहन के लिए आपका आभारी हूँ ।
जब लफ़्ज मैँ बन जाता हूँ ,
महफिल मेँ गुनगुनाया जाता हूँ ।
क्या बात है
बहुत खूब...
बहुत ही भावपूर्ण रचना। मन खुश हो गया पढकर।
जब तीर मैँ बन जाता हूँ ,
नजरोँ से चलाया जाता हूँ ।
सुंदर ख़याल अशोक भाई, बधाई|
बेहद खूबसूरत रचना है अशोक भाई.. बेहतरीन... अर्थपूर्ण!!!
bahut pyari rachna...:)
mera blog khul nahi raha, agar koi suggestion ho to please den!!:(
छोटे शेरों में बडी बात कह गये आप। बधाई।
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जीवन के लिए युद्ध जरूरी?
आखिर क्यों बंद हुईं तस्लीम पर चित्र पहेलियाँ ?
>>> कुवँर कुशमेश जी
>>> अंजना (गुड़िया) जी
>>> निर्मला कपिला जी
>>> वीना जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा प्रोत्साहन के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।
>>> मनोज कुमार जी
>>> नवीन सी चर्तुवेदी जी
>>> शाहनवाज जी
>>> मनोज कुमार सिँहा जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा सहयोग के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
जीवन के हर रंग को समेटे यह रचना बहुत भावपूर्ण है ....आपका आभार डॉ . अशोक जी
बहुत कीमत है इस इंसान की, वह बात और है की किस रूप में हम उसको सार्थक बना सकते हैं. बहुत सुंदर शब्दों में भावों को पिरोया है.
आदरणीय डॉ अशोक जी
नमस्कार !
बहुत खुबसूरत अंदाज़
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
>>> जाकिर अली "रजनीश" जी
>>> केवल राम जी
>>> संजय भास्कर जी
>>> रेखा श्रीवास्तव जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा उत्सासबर्धन और स्नैह के लिए बहुत बहुत शुक्रियाँ ।
बहुत सुन्दर रचना है अशोक जी ! इससे बेहतर और क्या सार्थकता दी जा सकती है जीवन को ! आपका हर ख्याल अनोखा है और अंदाज़े बयां बहुत ही शानदार ! बहुत-बहुत बधाई !
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