महिलाओं और पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) को ऐसे करें दूर।
-
आज के बदलते लाइफस्टाइल के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या बहुत देखने को मिल रही
है। पुरुष हो या महिला इंफर्टिलिटी के कारण पेरेंट्स बनने का सपना अधूरा रह
...
3 वर्ष पहले
22 टिप्पणियाँ:
जिँदगी मेँ यूँ तो हजारोँ रंग हुआ करते हैँ ,
फिर भी जाने क्यूँ कुछ लोग बदरंग हुआ करते हैँ ।
बिलकुल सही कहा। लोग जाने क्यों ज़िन्दगी को खुशी से जी नही पाते ।
रचना बहुत कमाल की है। बधाई आपको।
जिँदगी मेँ यूँ तो हजारोँ रंग हुआ करते हैँ ,
फिर भी जाने क्यूँ कुछ लोग बदरंग हुआ करते हैँ ...
बहुत सुन्दर रचना..हर पंक्ति दिल को छू लेती है..
अब फूल भी अन्दर से कठोर होने लगे हैं।
जीना जानते ही नहीँ वो जीने की बात किया करते हैँ
जब नीँद ही नहीँ आती सारी रात क्यूँ सपनोँ की बात करते हैँ ।
जीवन है ही विरोधाभास का नाम ....
बेहद सुंदर रचना..बहुत खूबसूरत है...
लाजवाब ग़ज़ल है ... एक एक शेर जैसे एक एक अनमोल मोती ..
जिँदगी मेँ यूँ तो हजारोँ रंग हुआ करते हैँ ,
फिर भी जाने क्यूँ कुछ लोग बदरंग हुआ करते हैँ ।
सच्ची बात कही है -
खूबसूरत अभिव्यक्ति
>>> निर्मला कपिला जी
>>> कैलाश सी शर्मा जी
>>> प्रवीण पांडेय जी
>>> केवल राम जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा हौसला अफजाई के लिए शुक्रियाँ ।
>>> संजय भास्कर जी
>>> वन्दना जी
>>> अनुपमा जी
आप सभी का ब्लोग पर आने तथा आपके सहयोग एवं स्नैह के लिए तहेदिल से शुक्रियाँ ।
मिलके जुदा हो जाते है फिर भी नजदीक रहा करते हैँ ,
रहते हैँ अंजान एक-दूजे से फिर भी रिश्ते बना करते हैँ ।
बहुत सुंदर बात कही है, रिश्ते तो दिल से बना करते हैं और उसका अहसास भी वही से होता है.
बहुत खूबसूरत गज़ल है ! हर शेर भावपूर्ण और बेहतरीन है ! बधाई एवं शुभकामनायें !
अच्छी अभिव्यक्ति । बधाई।
लाजवाब रचना!
जिँदगी मेँ यूँ तो हजारोँ रंग हुआ करते हैँ ,
फिर भी जाने क्यूँ कुछ लोग बदरंग हुआ करते हैँ ।
यह शेर बहुत अच्छा लगा....अनेक रंगों के बादजूद कुछ के जीवन में कोई रंग नहीं होता...
ज़िन्दगी के रंगों से दो-चार कराती सुन्दर रचना.
जिँदगी मेँ यूँ तो हजारोँ रंग हुआ करते हैँ ,
फिर भी जाने क्यूँ कुछ लोग बदरंग हुआ करते हैँ .
वह क्या लाजवाब खूबसूरत ग़ज़ल है .... खिल रहे हैं शेर तमाम ....
और इस शेर को बार बार पढने को दिल करता है ..
जिँदगी मेँ यूँ तो हजारोँ रंग हुआ करते हैँ ,
फिर भी जाने क्यूँ कुछ लोग बदरंग हुआ करते हैँ .
वह क्या लाजवाब खूबसूरत ग़ज़ल है .... खिल रहे हैं शेर तमाम ....
और इस शेर को बार बार पढने को दिल करता है ..
वाह!!! बेहतरीन ग़ज़ल लिखी है अशोक भाई....
जिँदगी मेँ यूँ तो हजारोँ रंग हुआ करते हैँ ,
फिर भी जाने क्यूँ कुछ लोग बदरंग हुआ करते हैँ ।
ज़बरदस्त!!!
जाने किन भावों ने आपसे ये ग़ज़ल लिखवाई , बहुत खूब ...
ज़िन्दगी के कई रंगों को समेटे यह रचना बहुत ही भावपूर्ण है।
अशोक भाई आप के पास विचारों का अपार भण्डार है और अद्भुत कहन भी| बधाई बन्धुवर|
आप अपनी रचनाओं की लिंक्स मुझे navincchaturvedi@gmail.com पर भेज दिया कीजिएगा|
>>> रेखा श्री वास्तव जी
>>> संजय जी
>>> साधना वैद जी
>>> रविन्द्र रवि जी
आप सभी के इस सहयोग और उत्साहबर्धन के लिए दिल से शुक्रियाँ ।
एक टिप्पणी भेजें